'बंटवारा और विस्थापन' नामक पुस्तक पर परिचर्चा।दिल्ली के व्यापारिक नेता और समाजसेवी विजय गुप्ता बंटी द्वारा लिखित पुस्तक का प्रकाशन कनिष्क पब्लिशर्स ने किया है।-----कश्मीरी पंडितों के दर्द को खत्म करने का वक़्त अब आना चाहिए। अब भी नहीं आएगा, तो कब आएगा? _________ #rjspositivemedia

दिल्ली के व्यापारिक नेता और समाजसेवी विजय गुप्ता बंटी द्वारा लिखित पुस्तक 'बंटवारा और विस्थापन' पर परिचर्चा।पुस्तक का प्रकाशन कनिष्क पब्लिशर्स ने किया है। --कश्मीरी पंडितों के दर्द को खत्म करने का वक़्त अब आना चाहिए। अब भी नहीं आएगा, तो कब आएगा? परिचर्चा में अन्य वक्ताओं ने व्यापारिक समाज से जुड़े बंटी के लेखन को सराहा। कहा कि बंटी ने चरित्रों के माध्यम से 1947 और 1990 में उजड़े लोगों के दर्द का बखूबी चित्रण किया है। देश को झकझोरने वाले महत्वपूर्ण व संवेदनशील विषय पर बंटी एक अच्छे लेखक के रूप में उभरे हैं। 1990 में कश्मीर घाटी में नरसंहार कर उजाड़े गए हिंदू परिवारों की जिंदगी 30 वर्ष से भी अधिक समय से हर रोज गहरे जख़्मों का दर्द सह रही है। इस पर अब तो मरहम लगना चाहिए। यह विचार विभिन्न वक्ताओं ने प्रकट किए। राम नगर-नैनीताल में श्री हनुमान धाम के संस्थापक आचार्य विजय ने कहा कि कश्मीरियत का मतलब ही यह है कि वहां हिंदू, मुस्लिम अन्य सभी के साथ रहने के अवसर हों। लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय सचिव धर्मवीर शर्मा ने कहा कि अपने ही देश के नागरिकों का इतना लंबा विस्थापन दुखद ह...