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उत्तर प्रदेश राज्य कांवड़ मेला 2021 स्थगित। राज्य सरकार द्वारा कांवड मेला 2021 स्थगित किये जाने के आदेश निर्गत किए जाने के उपरान्त हरिद्वार पुलिस की बार्डर पर आने वाले कांवडियों को रोकने की रणनीती के सम्बन्ध में बैठक आयोजित की गयी। #rjsmedia

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उत्तर प्रदेश कांवड़ मेला 2021 स्थगित आज दिनांक 14-07-2021  को एसएसपी हरिद्वार सेंथिल अवूदई कृष्णराज एस महोदय द्वारा कांवड मेला वर्ष 2021 स्थगित किये जाने के सम्बन्ध में जनपद के पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित कर आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये।  पुलिस लाइन्स रोशनाबाद हरिद्वार स्थित सभागार में श्रीमान एसएसपी हरिद्वार महोदय की अध्यक्षता में राज्य सरकार द्वारा कांवड मेला 2021 स्थगित किये जाने के आदेश निर्गत किए जाने के उपरान्त हरिद्वार पुलिस की बार्डर पर आने वाले कांवडियों को रोकने की रणनीती के सम्बन्ध में बैठक आयोजित की गयी। हरिद्वार पुलिस के सभी अधिकारी गण की मौजूदगी में एसएसपी महोदय द्वारा सभी क्षेत्राधिकारी, कोतवाली प्रभारी एवं थानाध्यक्षों को निर्देश दिए कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण (तीसरी लहर) से आम जनता की जान की सुरक्षा के दृष्टिगत उत्तराखण्ड सरकार द्वारा कांवड मेला 2021 स्थगित करने का निर्णय लिया गया है।  कांवड मेला में देश के कोने कोने से शिव भक्तों का हरिद्वार आवागमन रहता है। सरकार के निर्णय  के पालन हेतु प्रशासन से समन्...

नकारात्मक सोच किसी मसले का समाधान नहींसम्मान हरेक का है,किसान हो या जवान, शहरी हो ग्रामीण -- अरविंद कुमार सिंह

नकारात्मक सोच किसी मसले का समाधान नहीं सम्मान हरेक का है,किसान हो या जवान, शहरी हो ग्रामीण -- अरविंद कुमार सिंह 21वीं सदी में महानगरों में जी रहे उन लोगों की अज्ञानता तो समझी जा सकती है, जिनको अब फिल्मों में भी गांव और किसान देखने को नही मिलते। लेकिन बौद्धिक होने का दंभ भरने वाले और खेती बाड़ी में देश में सबसे पिछड़े इलाकों से आने वाले लोगों का क्या कहेंगे। कृषि क्षेत्र की चुनौतियों को जानते हुए भी वे शांति से दो महीने तक अपनी बात रखने के लिए गाजीपुर जैसी सरहद पर बैठे किसानों के बारे में वे  क्या क्या लिखते हैं। उस गाजीपुर सीमा पर जहां से गुजरते समय लोग नाक पर कपडा लगा लेते हैं। किसी को भी अपने घर से दूर अच्छी से अच्छी जगह भी एकाध दिन ही अच्छी लगती है। किसानों को जहां रोका वहीं रुक गए। चाहे वह गाजीपुर हो या सिघु सीमा। उनके लिए जहर भरी भाषा का उपयोग करने वाले क्या सरकार को डिक्टेट करना चाहते हैं। क्या वे पुलिस जवानों से भी अधिक किसानों के बारे में समझ रखते हैं, जिसकी ड्यूटी उनके आसपास ही है और जो खुद किसान परिवारों से ही आते हैं।   किसानों का आंदोलन जिन मुद्दों को लेकर है ...