कुछ याद बाबूजी के अंतिम सफर की - अमिताभ प्रसाद
कुछ याद बाबूजी के अंतिम सफर की - अमिताभ प्रसाद सिंह पिताजी अपने अंतिम सफर पर थे जिन्हें मैं(अभिताभ प्रसाद सिंह)मेरे बड़े भाई समीर भैया, प्रमोद भैया छोटे भाई चंदन समेत अन्य भाई गण बारी -बारी से अपने कंधे पर लेकर अंतिम संस्कार के लिए आगे बढ़ रहे थे। मन में उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना के साथ बार बार उथल पुथल मची थी। यात्रा के दौरान लगातार मन में यही चल रहा था कि आज वे मेरे कंधे पर हैं जिनके कंधे पर कभी मैं खेला था। जब मैं जन्मा हुआ था तब उन्होंने पहली बार मुझे अपने गोद में उठाया होगा और फूले नहीं समाए होंगे। उन्होंने उंगली पकड़कर मुझे चलना सिखाया होगा और कमर से पकड़कर गिरने से बचाया होगा।और अपना और मेरा भविष्य अपने कल्पनाओं में तय किए होंगे। हालाकि उनका गिरने से बचाने का सिलसिला जीवनभर चलता रहा। और आज हम सभी भाई बहन अपने भरे पूरे परिवार के साथ खुशहाल हैं। बस अब हमसभी के बढ़ते कदम को देखकर खुश होने के लिए वो नहीं होंगे। संतोष बस इतना है कि हम सभी उनके अंतिम समय में उनके साथ थे और वे 99 साल भरपूर जीवन जीने के बाद पूरे शु...