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10जुलाई-लोकगायक भिखारी ठाकुर की 50वीं पुण्यतिथि...दस जुलाई ह. आजुए के दिन (10 जुलाई 1971) दुनिया से रूखसत भइल रहनी भिखारी ठाकुर.

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आज दस जुलाई ह. आजुए के दिन (10 जुलाई 1971) दुनिया से रूखसत भइल रहनी भिखारी ठाकुर. भिखारी ठाकुर का रूखसत होखतीं. उहां के त अपना जीवन में ही, अपना काम से, अमरत्व प्राप्त कर लेले रहुवीं.  लोकमानस में लोकनायक लेखा रच-बस गइल रहुवीं. उहां के नश्वर शरीर विदा भइल रहे ओह दिन. उहां के त अपना बारे में जीते जी कहत रहुवीं- अबहीं नाम भईल बा थोरा जब ई छूट जाई तन मोरा तेकरा बाद पचास बरिसा तेकरा बाद बीस दस तीसा तेकरा बाद नाम हो जईहन पंडित कवि सज्जन जस गईहन’ अबकी दस जुलाई ओही पचास बरिसावाला साल ह, जेकर बात उहां के कहत रहुवीं. उहां के 50वीं पुण्यतिथि के पावन दिन. उहां के गीत लइकाई से ही गावत रहल बानी. अनेक गीतन के खोज के कंपोज कई के भी गावे के कोशिश कइले बानी. एह साल के एह खास दिन पर एगो दोसर छोट कोशिश कइले बानी.'लोकराग गीतमाला' के नवका अंक (छठा अंक) उहां के स्मृतियन के सादर प्रणाम करत, उहां के समर्पित करे के कोशिश कर रहल बानी. एह गीतमाला पुस्तिका में भिखारी ठाकुर के नाटकन से आ नाटकन से इतर उहां के लिखल—रचल स्वतंत्र तराना,  दुनो श्रेणी के रूनझून-सदाबहार गीत होखी. गीत के ग...

गिलोय:रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए,बुखार, मधुमेह, गठिया आदि बीमारियों में रामबाण का काम करता है- निखिलेश मिश्रा, #rjspositivemedia

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सौ मर्ज की एक दवा - गिलोय अगर अब तक गिलोय की शक्ल ना देखी हो तो देख लीजिए। आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि। आयुर्वेद साहित्य में इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका नाम दिया गया है। गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतः कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है। नीम, आम्र के वृक्ष के आस-पास भी यह मिलती है।  जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनाती है, उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं। इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है। इसका काण्ड छोटी अंगुली से लेकर अंगूठे जितना मोटा होता है। बहुत पुरानी गिलोय में यह बाहु जैसा मोटा भी हो सकता है। इसमें से स्थान-स्थान पर जड़ें निकलकर नीचे की ओर झूलती रहती हैं। चट्टानों अथवा खेतों की मेड़ों पर जड़ें जमीन में घुसकर अन्य लताओं को जन्म देती हैं। गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अ...