छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती, स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले और संगीतकार पंकज मलिक की पुण्यतिथि 19 फरवरी पर आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया की प्रस्तुति.


छत्रपति शिवाजी महाराज, गोपाल कृष्ण गोखले और पंकज मलिक के बारे में RJSसूचना -19फरवरी2021
"मराठा साम्राज्य" के वीर छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर कोटि-कोटि नमन -टीम आरजेएस फैमिली
19 फरवरी, 1630 में शिवनेरी दुर्ग (महाराष्ट्र) में जन्मे छत्रपति शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम राजमाता जीजाबाई था। उनकी माता जीजाबाई जाधव कुल में उत्पन्न असाधारण प्रतिभाशाली महिला थीं और उनके पिता एक शक्तिशाली सामंत थे। शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा। बचपन से ही वे उस युग के वातावरण और घटनाओं को भली प्रकार समझने लगे थे। बचपन से ही उनमें विदेशी शासन की बेड़ियों को तोड़ देश में स्वाधीनता स्थापित करने की लौ प्रज्ज्वलित हो चुकी थी। छत्रपती शिवाजी महाराज (1630-1680 ई.) भारत के एक महान राजा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। सन् 1674 में रायगढ़ में उनका राज्यभिषेक हुआ और वह "छत्रपति" बने। छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों कि सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये तथा गोरिल्ला युद्ध प्रणाली की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की। उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया। ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संग्राम में हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। शिवाजी महाराज को कोटि-कोटि नमन 🙏-टीम आरजेएस फैमिली
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गोपाल कृष्ण गोखले की आज‌19 फ़रवरी को पुण्यतिथि है।   अपने समय के अद्वितीय संसदविद और राष्ट्रसेवी थे। यह एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे। उन्होंने भारत सेवक समाज' (सरवेंट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी) की स्थापना की।
1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के नौ वर्ष बाद गोखले का जन्म हुआ था। यह वह समय था, जब स्वतंत्रता संग्राम असफल अवश्य हो गया था, किंतु भारत के अधिकांश देशवासियों के हृदय में स्वतंत्रता की आग धधकने लगी थी।
गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई, 1866 ई. को महाराष्ट्र में कोल्हापुर नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता कृष्णराव श्रीधर गोखले  थे। पिता के असामयिक निधन ने गोपाल कृष्ण को बचपन से ही सहिष्णु और कर्मठ बना दिया था। स्नातक की डिग्री प्राप्त कर गोखले गोविन्द रानाडे द्वारा स्थापित 'देक्कन एजुकेशन सोसायटी' के सदस्य बने। बाद में ये महाराष्ट्र के 'सुकरात' कहे जाने वाले गोविन्द रानाडे के शिष्य बन गये। शिक्षा पूरी करने पर गोपालकृष्ण कुछ दिन 'न्यू इंग्लिश हाई स्कूल' में अध्यापक रहे। बाद में पूना के प्रसिद्ध फर्ग्यूसन कॉलेज में इतिहास और अर्थशास्त्र के प्राध्यापक बन गए।
अपनी शिक्षा पूरी करने पर गोपाल कृष्ण कुछ दिन 'न्यू इंग्लिश हाई स्कूल' में अध्यापक रहे थे। बाद में पूना के प्रसिद्ध 'फर्ग्यूसन कॉलेज' में इतिहास और अर्थशास्त्र के प्राध्यापक रहे। बालगंगाधर तिलक और गोखले में परस्पर कई मतभेद थे।

ईमानदारी
गोपाल कृष्ण तब तीसरी कक्षा के छात्र थे। अध्यापक ने जब बच्चों के गृहकार्य की कॉपियाँ जाँची, तो गोपाल कृष्ण के अलावा किसी के जवाब सही नहीं थे। उन्होंने गोपाल कृष्ण को जब शाबाशी दी, तो गोपाल कृष्ण की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। सभी हैरान हो उठे। गृहकार्य उन्होंने अपने बड़े भाई से करवाया था। यह एक तरह से उस निष्ठा की शुरुआत थी, जिसके आधार पर गोखले ने आगे चलकर अपने चार सिद्धांतों की घोषणा की-

सत्य के प्रति अडिगता
अपनी भूल की सहज स्वीकृती
लक्ष्य के प्रति निष्ठा
नैतिक आदर्शों के प्रति आदरभाव
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संगीतकार पंकज मलिक की आज 19फरवरी पुण्यतिथि है।
रवीन्द्र संगीत को सफलतापूर्वक फ़िल्मों में लाने वाले पंकज मलिक पहले संगीतकार थे, उन्होंने फ़िल्म 'मुक्ति' में रवीन्द्र संगीत का प्रयोग किया था, जिससे टैगोर के गीत आम जनता के सामने पहली बार सिनेमा के रूप में आए।
ल्मों में भी अपनी कामयाबी का परचम लहराने वाले शास्त्रीय संगीत के विशेषज्ञ थे। उनका पूरा नाम 'पंकज कुमार मलिक' था। वे ऐसे संगीतकार व गायक थे, जिनकी आवाज़ के जादू ने आज भी उनके लाखों प्रशंसकों को बांध रखा है। बहुमखी प्रतिभा के धनी पंकज मलिक को संगीत और गायन के अलावा अभिनय में भी कुशलता हासिल थी। वह जब भी परदे पर अवतरित हुए कामयाब रहे। उनकी ऐसी हिन्दी फ़िल्मों में 'डाक्टर', 'आंधी', और 'नर्तकी' आदि विशेष चर्चित हैं। जाति प्रथा की समस्या के ख़िलाफ़ संदेश देने वाली फ़िल्म 'डाक्टर' में पंकज मलिक ने कई गाने खुद गाए थे, जो काफ़ी हिट हुए। पंकज मलिक की अपनी विशिष्ट गायन शैली थी, जिसकी बदौलत उन्होंने हज़ारों लोगों को अपना प्रशंसक बनाया। उन्हें हिन्दी फ़िल्मों के सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' से भी नवाजा गया। rjsi nfo

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