पूरी तरह से कृषि कार्यो में प्रयोग होने वाले कृषि उपकरण,खाद,बीज,दवाई आदि पर जीएसटी से मुक्त करने का वित्त मंत्री ने किसानों को आश्वासन दिया- धर्मेन्द्र मलिक

पूरी तरह से कृषि कार्यों के प्रयोग होने वाले कृषि उपकरण,खाद,बीज,दवाई आदि पर जीएसटी से मुक्त करने का वित्त मंत्री ने किसानों को आश्वासन दिया-  धर्मेन्द्र मलिक 
नई दिल्ली -  वित्त मंत्रालय द्वारा वित्त मंत्रालय के कमरा नंबर 72 में बजट से पूर्व कृषि पर परामर्श आयोजित किया । जिसमें कृषि एवं कृषि उद्योग से जुड़े लगभग 19 लोगों ने भाग लिया। साथ में वित्त सचिव,कृषि सचिव भी शामिल रहे। 
देश के किसानों एवं भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के  प्रतिनिधि के तौर पर धर्मेन्द्र मलिक राष्ट्रीय प्रवक्ता ने हिस्सा लिया। माननीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने किसानों की बात को गंभीरता से सुना एवं कृषि उपकरणों,खेती में काम आने वाले इनपुट को जीएसटी मुक्त करने,क्रेडिट कार्ड पर छूट के लिए सीमा बढ़ाने का का आश्वासन भी दिया। 
कई विषयों पर कार्य करने के लिए उन्होंने आश्वस्त किया .

माननीय 
           श्रीमती निर्मला सीतारामन जी                         वित्त मंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली l

     विषय-वित्त मंत्री, भारत सरकार, माननीया श्रीमती निर्मला सीतारामन जी से बजट पूर्व परामर्श में भारत के किसानों की समस्याओं पर सुझाव।  

        महोदया,
                 भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक बजट से पूर्व किसानों के साथ किए जा रहे परामर्श के लिए आपका आभार व्यक्त करते हुए कहना चाहती है कि देश में आज भी निजी क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार कृषि क्षेत्र से है लेकिन यह क्षेत्र लंबे समय से उपेक्षा का शिकार है। जिसके कारण किसानों की आत्महत्या हो रही है।
पूर्व में आपके द्वारा वाणिज्य मंत्री रहते हुए कहा गया था कि व्यापार करने में आसानी हेतु हमने 7000 कदम लिए है
हमारा आपसे आग्रह है कि खेती करना आसान हो इसके लिए कम से कम 5000 छोटे बड़े कदम जैसे समय पर खाद,बीज,दवाई,बिजली, मजदूर आदि का न मिलना, जलवायु परिवर्तन से आ रही चुनौतियां,फसलों की उत्पादन लागत में वृद्धि, भण्डारण, मंडियों का निर्माण आदि कदम उठाने की अत्यंत आवश्यकता है।बजट का भारत के किसानों को बदलावकारी नीति के लिए उसी तरह से इंतजार करते है जैसे मानसून का इंतजार करते हैं।पिछले तीन दशकों से नीतिगत सुधार की प्रक्रिया को गति मिले इसका इंतजार किसान कर रहे है।
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक द्वारा  देशभर के किसानों की समस्याओं पर निम्नलिखित सुझाव है ।

 1.       न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत सी2 का डेढ़ गुना तय किया जाए। क्योकि ए2+एफएल और सी2 के बीच भी व्यापक अंतर है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मौजूदा प्रणाली कृषि उपज की उत्पादन लागत को कवर करने में विफल है, इसलिए इसमें सुधर किया जाए।  न्यूनतम समर्थन मूल्य की  गणना वर्तमान बाजार सूचकांक की समीक्षा के आधार पर की जाए जिसमें भूमि का किराया,कृषक मजदूरी,परिवार की मजदूरी,कृषि निवेश,उत्पादन की उचित लागत आदि घटकों के आधार पर की जाए।

2.       न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) एमएसपी तय करते समय कटाई के बाद के कार्यों में खर्च व् नुकसान जैसे सफाई में खर्च , ग्रेडिंग में खर्च, पैकेजिंग में खर्च, परिवहन में खर्च , सरकार द्वारा खुले बाजार में अपने कृषि उत्पाद बेचने से भाव गिरने का जोखिम, प्राकृतिक आपदा जोखिम, निर्यात प्रतिबन्ध के जोखिम व आयात-निर्यात के साथ ही इस तरह के सभी जोखिम को भी एमएसपी तय करते समय शामिल किया जाए।

3.       न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे मूल्य जाने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित फसलों का न्यूनतम विक्रय मूल्य उसी तरह तय किया जाये, जिस तरह केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3 की उप धारा (2) के खंड (ग) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चीनी मूल्य (नियंत्रण) आदेश, 2018 अधिसूचित कर चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य तय किया था।

4.       न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम मूल्य पर किसी भी दशा में कृषि उत्पादों का आयात नहीं होना चाहिए। तथा न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी)  आपात स्थिति में ही लगायी जाए।

5.       सभी मुख्य फसलों, मुख्य फल-सब्जी, दूध व शहद आदि को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में लाया जाना चाहिए। जिन फसलों का एमएसपी तय नहीं होता है, उन फसलों के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना को प्रभावी बनाया जाये। क्योकि केंद्र व राज्यों के बीच का विषय होने के कारण योजना लागू होने में विलम्ब होता है या योजना लागू ही नहीं होती है।

6.       प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में छोटे किसानों के लिए बीमा प्रीमियम शून्य होनी चाहिए, ताकि वे बीमा योजना का लाभ लें सके। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में हर फसल में किसान को इकाई माना जाए व वास्तविक नुकसान का मुआवजा मिलना चाहिए।

7.       पीएम-किसान किस्त की राशि मौजूदा 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये सालाना किया जाए। 

8.   कृषि क्षेत्र को घाटे से उभारने के लिए दीर्घकालीन ऋण की जरूरत है। आज किसान एक लोन को चुकाने के लिए दूसरा लोन ले रहा है। कृषि ऋण,कृषि उपकरण ऋण समय पर भुगतान करने वाले किसानों को 1%  ब्याज दर पर दिया जाय।किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत किसान को चार वर्ष तक केवल ब्याज जमा करने की सुविधा और पांचवे वर्ष में एक बार मूलधन व् ब्याज दोनों जमा करने की सुविधा दी जाये। पिछले 15 वर्षों से किसान क्रेडिट कार्ड पर तीन लाख तक की सीमा पर 3% की छूट प्रदान की जाती है। इस सीमा को छह लाख किया जाय

9.       ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के लिए कृषि आधारित उद्योग व लघु उद्योग की स्थापना के साथ इनके उत्पादों को उनकी बिक्री सहित संरक्षण दिया जाये।

10.    कृषि को संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची में शामिल किया जाये। और भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर भारतीय कृषि सेवा का एक केंद्रीय कैडर बनाया जाना चाहिए।

11.    देश में मुख्य निर्यातक फसलों के निर्यात के किये भारतीय तंबाकू बोर्ड व कॉफ़ी बोर्ड की तरह अन्य फसलों के बोर्ड बनाने की आवश्यकता है, क्योकि मुख्य निर्यातक फसलों के निर्यात के किये बोर्ड निर्यातक फसलों के क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास,वित्त व निर्यात सहित विपणन आदि के लिए कार्य करेगा।
12. कृषि उपकरणों,पशु आहार,मुर्गी दाना,खाद, बीज,दवाई आदि को जीएसटी से बाहर किया जाय। जब राज्यों में बिक्री कर की व्यवस्था थी उस समय भी किसान इससे मुक्त थे।
13. जलवायु परिवर्तन कृषि के अस्तित्व के लिए खतरा है। हीट बेव, तेज बारिश,असमय बारिश, बादल फटना आदि घटनाएं हो रही है। इसके लिए कीटों से निपटने,बीज आदि के लिए योजना बनाई जाए।
14.देश में लगभग 7000 हजार कृषि मंडी है।हर 5 किमी में मंडी बनाने हेतु लगभग 42000 मंडी की जरूरत है।मंडियों में किसानों के लिए ग्रेडिंग,पैकेजिंग,ब्रांडिंग की सुविधा प्रदान की जाए। खाद्य पदार्थों के नुकसान को कम करने हेतु  मंडियों में भण्डारण की सुविधा प्रदान की जाए
15. सभी कृषि यंत्र (ट्रैक्टर सहित) सभी यंत्रों की कीमत कंपनियों की वेबसाइट पर प्रदर्शित की जाय। इससे किसानों के साथ धोखा हो रहा है

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