198 वां महर्षि दयानंद जन्मोत्सव पर कृतज्ञ केंद्रीय आर्य युवक परिषद की श्रद्धांजलि.जातपात व दलगत से ऊपर उठकर राष्ट्र हित में सोचे समाज -डॉ वागीश आचार्य(गुरुकुल एटा)महर्षि दयानंद ने वैचारिक क्रांति का शंखनाद किया -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
198 वां महर्षि दयानंद जन्मोत्सव पर कृतज्ञ केंद्रीय आर्य युवक परिषद की श्रद्धांजलि.
जातपात व दलगत से ऊपर उठकर राष्ट्र हित में सोचे समाज -डॉ वागीश आचार्य(गुरुकुल एटा)
महर्षि दयानंद ने वैचारिक क्रांति का शंखनाद किया
-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
शुक्रवार 12 फरवरी 2021(आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया)केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में युग प्रवर्तक, आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का 198 वां जन्मोत्सव ऑनलाइन जूम पर आयोजित किया गया । उल्लेखनीय हैं कि महर्षि दयानंद का जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात के टंकारा ग्राम में हुआ था और बचपन का नाम मूलशंकर था । यह कॅरोना काल में परिषद का 173 वा वेबिनार था ।
वैदिक विद्वान डॉ वागीश आचार्य ने कहा कि आज जातपात, प्रांतवाद से ऊपर उठकर राष्ट्र हित के बारे मे सोचने की आवश्यकता है । महर्षि दयानंद के आदर्श सार्वभौमिक है और रहेगे, आवश्यकता उन पर चलने की है, उन्हें जीवन में आत्मसात करने की है । उन्होंने कहा कि आर्य समाज को आज चिंतन करना होगा व समाज को नया राजनीति दृष्टिकोण भी देना होगा कि सही क्या और गलत क्या है । आर्य समाज की आज पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है पाखंड अंधविश्वास, भृष्टाचार बढ़ रहे है आर्य जनो को मिलकर इनका निदान करना है ।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद ने एक वैचारिक क्रांति का शंखनाद किया और लोगो की सोचने की दिशा ही बदल डाली उन्होंने तर्क की कसौटी पर सत्य को परखा व फिर जनमानस को परोसा । उनका लिखा "सत्यार्थ प्रकाश" सत्य असत्य के निर्णय करने का अदभुत ग्रन्थ है । महर्षि दयानंद ने गुजराती होते हुए भी हिंदी भाषा पर जोर दिया कि हिंदी में ही राष्ट्रीय एकता को जोड़ने की शक्ति है । वह सही मायनों में समग्र क्रांति के अग्रदूत थे । उन्होंने ही घोषणा की थी कि कोई कितना ही करे पर स्वदेशी राज्य सर्वोत्तम है ।
समारोह अध्यक्ष सत्यानंद आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद के आदर्शों पर चलने की आवश्यकता है वह विश्व के नेता थे उन्हें किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता ।
प्रांतीय महामंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद ने वेदों की पुनर्स्थापना की उन्हें वेदों वाला ऋषि कहा जाता है । डॉ सुषमा आर्या, आचार्य गवेन्द्र शास्त्री ने भी श्रद्धासुमन अर्पित करें ।
प्रमुख रूप से आचार्य महेन्द्र भाई, यशोवीर आर्य,आनन्द प्रकाश आर्य, धर्मपाल आर्य,राजेश मेहंदीरत्ता, अमरनाथ बत्रा,डॉ विपिन खेड़ा, नरेन्द्र कस्तूरिया,प्रगति डाली आदिउपस्थित थे ।
गायिका सुदेश आर्या,नरेंद्र आर्य सुमन, संगीता आर्या,संध्या पाण्डेय, रविन्द्र गुप्ता, प्रवीना ठक्कर, अंजू आहूजा,जनक अरोड़ा, प्रतिभा सपरा,विमला आहूजा आदि ने भजन प्रस्तुत किये ।
रिपोर्ट-आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया
9811705015
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