नूतलपाटि वेंकट रमण... अभिव्यक्ति के हनन के खिलाफ मुखर रहे।एक श्रमजीवी पत्रकार के चीफ जस्टिस बनने की कहानी.--उतम मुखर्जी......#rjspositivemedia

नूतलपाटि वेंकट रमण... अभिव्यक्ति के हनन के खिलाफ मुखर रहे
एक श्रमजीवी पत्रकार के चीफ जस्टिस बनने की कहानी.
64 वर्षीय इस सज्जन का नाम है नूतलपाटि वेंकट रमण अर्थात एनवी रमना । पत्रकारिता से इनका गहरा लगाव रहा । देश के बहुप्रसारित अख़बार ईनाडु में दो साल तक रमना एडिटोरियल का काम देखते रहे। इसी ईनाडु के सौजन्य से ही ईटीवी का आगमन हुआ। बाद में यह चैनल टीवी 18 बना । तकरीबन डेढ़ दशक पहले एक इंटरव्यू में चयन होने के बाद सीनियर जॉर्नलिस्ट के रूप में मुझे भी रामोजी फ़िल्म सिटी में रहने , समझने का सौभाग्य हुआ था । उस समय धनबाद से एक पत्रकार सुनील कुमार को भी मैं मेरे साथ ले गया था । वहां उस समय रमना की बातें सुनने को मिली थी।
एनवी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन के खिलाफ रहे। कश्मीर में इंटरनेट सेवा बहाल कर उन्होंने यह संदेश दिया कि खबरों को दबाना उचित नहीं है। पत्रकारों को सूचना लेने और देने का अधिकार है।  घर में रहनेवाली महिलाओं को भी उन्होंने कामकाजी होने का दर्जा दिया। कहा खेतों में काम करनेवाली , पशु चरानेवाली , बच्चे पालनेवाली भी श्रमजीवी हैं। उन्हें भी मुआवजा पाने का हक है । पत्रकारों की आज़ादी के वे हिमायती रहे हैं।
अविभाजित आंध्रबक कृष्णा जिले के एक किसान परिवार में इनका जन्म हुआ। ये सत्ता की निरंकुशता और जम्हूरियत के पक्ष में आवाज़ उठाते रहे हैं। इनके पिता को लगा कि शायद इन्हें सरकार जेल भेज दें। सो दो जोड़ी कपड़े और दस रूपया देकर पढ़ने के लिए मामा के यहां भेज दिए।
 बाद की कहानी सभी को मालूम है। ये वकील बने । जज बने। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने जा रहे हैं। अप्रैल में इस पद को सुशोभित करेंगे एक पत्रकार। उम्मीद तो की ही जा सकती है कि वे कुछ अलग करेंगे। कुछ खास करेंगे....अभिव्यक्ति और असहमति के अधिकार को क्राइम नहीं मानेंगे। मेहनतकशों को भी सुनेंगे। आमलोगों के बीच यह धारणा बनाने में मदद करेंगे..अदालत सभी के लिए..सिर्फ बड़े लोगों के लिए नहीं है। कोर्ट रूम सिर्फ बड़े मकान न साबित हो। यह भरोसे की इमारत बने।
आपको अग्रिम शुभकामनाएं...

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