प्रेरक व्यक्तित्व और पद्मश्री से सम्मानित "फ्लाइंग सिख" - मिल्खा सिंह होना आसान नहीं: डा.अखिलेश चन्द्र,एसोसिएट प्रोफेसर, शिक्षा संकाय श्री गाँधी पी जी कॉलेज,मालटारी,आजमगढ़, 19-06-2021 #rjspositivemedia,#rjsmedia,

प्रेरक व्यक्तित्व "फ्लाइंग सिख" पद्मश्री से सम्मानित  मिल्खा सिंह होना आसान नहीं: डा.अखिलेश चन्द्र,
एसोसिएट प्रोफेसर, शिक्षा संकाय श्री गाँधी पी जी कॉलेज,मालटारी, आजमगढ़ 
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(RJS पाॅजिटिव मीडिया---दिल्ली)-
20 नवम्बर 1929 को (गोविंदपुरा,जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है)में जन्म लेने वाले मिल्खा सिंह 18 जून 2021 को जिन्दगी का जंग 91 वें वर्ष में हार गये।अभी 05 दिन पूर्व ही उनकी पत्नी निर्मल कौर जी जो 1962 में भारतीय महिला बॉलीवाल टीम की कप्तान रह चुकी है ,का भी देहांत हुआ है ।मिल्खा सिंह जी की 3 बेटियां और एक बेटा जीव मिल्खा सिंह एक भारतीय गोल्फर हैं।भारतीय धावक और भारत को विश्व ओलम्पिक में गोल्ड मेडल दिलाने वाले मिल्खा सिंह का जीवन इतना आसान नहीं था जितनी ऊँचाई उन्होंने अपने को और अपने देश को दिलाई।भारत सरकार से पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त यह भारत का धावक विश्व फलक पर अपना परचम लहराने वाला, खिलाड़ी उन संघर्षो से अपने आप को तपाया था जिसमें सोना गलाकर गहना बनाया जाता है।सोने का गोल्ड मेडल प्राप्त करने के लिये मिल्खा सिंह ने सोना लगभग छोड़ दिया था।
भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी का कहा गया एक स्लोगन-'सपने वो सच नही होते जिसे आप सोते हुए देखते हैं बल्कि वो सच होते हैं जिसे आप खुली आँखों से जगते हुये देखते हैं और पूरी जिंदगी उसे सच करने में लगा देते है।'यह स्लोगन तो बाद में आया पर मिल्खा सिंह ने इसे पहले ही अपना लिया था।आपको यह जानकर हैरानी होगी कि शुरुआत के दिनों में मिल्खा सिंह के पास पैर में पहनने के लिये जूते, और स्पोर्ट्स किट तक नही थे,वो नंगे पांव बालू के रेत पर दौड़ते थे,प्रेशर के लिये कमर में रस्सी के सहारे गाड़ी के टायर को बांधकर बालू पर दौड़ते थे।दौड़ने में जब कभी ब्लड निकल जाता था तब दवा भी नसीब नही थी, वो उस घाव पर मिट्टी लगाकर ठीक कर लेते थे।उनकी इस बहादुरी पर उनकी बहन हमेशा उनके साथ खड़ी रहती थी।मिल्खा सिंह ने देश का मान-सम्मान इतना बढ़ाया कि उनकी ज़िंदगी पर फ़िल्म कहानीकार,गीतकार के बेटे जावेद अख्तर के सुपुत्र अभिनेता फ़रहान अख्तर अभिनीत फिल्म:'भाग मिल्खा भाग' बनी जो एक बड़ी ब्लॉक बस्टर फ़िल्म साबित हुई ।फ़रहान अख्तर का भी फिल्मी कैरियर इसी फिल्म से आगाज पाया आज वो फ़िल्म उद्योग के एक जाने -माने अभिनेता हैं। 
मिल्खा सिंह भारत के खेल इतिहास के सबसे सफल एथलीट थे. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु से लेकर पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान तक सब मिल्खा के हुनर के मुरीद थे।
एक दौड़ में उनके दौड़ से प्रभावित होकर पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने मिल्खा सिंह को 'फ्लाइंग सिख' का नाम दिया और कहा 'आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो. इसलिए हम तुम्हें 'फ्लाइंग सिख' का खिताब देते हैं।इसके बाद से ही वो इस नाम से दुनिया भर में मशहूर हो गए। खेलों में उनके अतुल्य योगदान के लिये भारत सरकार ने उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से भी सम्मानित किया है।
कॉमनवेल्थ गेम में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाले मिल्खा सिंह पहले भारतीय थे।
1960 के रोम ओलंपिक और टोक्यो में आयोजित 1964 के ओलंपिक में मिल्खा सिंह अपने शानदार प्रदर्शन के साथ दशकों तक भारत के सबसे महान ओलंपियन बने रहे।1962 के जकार्ता एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर और चार गुना 400 मीटर रिले दौड़ में भी गोल्ड मेडल हासिल किया था।इस महान देशभक्त ,भारत के गौरव,मिल्खा सिंह जी को अश्रु पूरित नयन से भावपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि।
रिपोर्ट
RJS POSITIVE MEDIA
9811705015.


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