मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता का परोसा जाना कोरोना से भी ज्यादा घातक OTT प्लेटफार्म द्वारा पैसे कमाने की होड़ में नैतिकताओं का कत्ल--डॉ शोभा विजेंद्र , संस्थापिका संपूर्णा संस्था. #rjspositivemedia


 मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता का परोसा जाना कोरोना से भी ज्यादा घातक
 OTT प्लेटफार्म द्वारा पैसे कमाने की होड़ में  नैतिकताओं का कत्ल--डॉ शोभा विजेंद्र
 संपूर्णा संस्थापिका.  #rjspositivemedia
डा शोभा विजेंद्र- संस्थापिका संपूर्णा
इंटरनेट से आया अश्लीलता, गाली गलौज, गंदे दृश्य, हिंसा, आपराधिक मनोविज्ञान  और  नाजायज़ रिश्ते का प्रदर्शन कोरोना के वायरस से भी ज्यादा घातक है।  समाज इस अभद्रता को देखते हुए, संस्कार विहीन हो रहा है।आने वाली नस्लों के अंदर सुनियोजित तरीके से विकृत मानसिकता को सुदृढ़ करने का य़ह प्रयास है।
दादा- नानी की परंपरा कहीं ना कहीं पोते नातियों को संस्कार देती ही रही हैं।  किंतु  आधुनिकीकरण और औद्योगिक विकास के कारण सभी जगह इन्टरनेट अपने  पैर पसार गया है।
"Over The Top" (OTT) के माध्यम से पैसा कमाने की होड़ देश के युवाओं को रोगी दिमाग देने का कार्य कर रही है।वे  अपने लैपटॉप और  मोबाइल के चक्रव्यूह  से बाहर नहीं निकल पा रहें हैं।लॉकडाउन में मनोरंजन के प्लेटफार्म के तौर पर ओटीटी का चलन काफी बढ़ गया है। इन ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सीरीज में बेवजह गालियां दी जा रही हैं। संवादों में संबोधन और विश्लेषण के लिए गालियों का चलन हो गया है।
लेखकों और निर्देशकों को दृश्य और किरदार को प्रभावशाली दिखाने के लिए यह आसान तरीका लगता है।तीसरी श्रेणी के कलाकार यहां पर गालियों और अभद्रता से पैसे कमा रहे हैं। 

वर्तमान समय में बाजारवाद का स्थान सर्वोपरि है। हमें केवल लाभ ही होना चाहिए उसके बदले नैतिकता ही दांव पर क्यों न लग जाए? पूंजीवाद का ऐसा दौर भी कभी आएगा, हमने कभी सोचा नहीं था। 
आख़िर, इस सुदृढ़ भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत समाज का नैतिक पतन इस हद तक कैसे हो गया? कारण कुछ भी हो, इस पर समाज को अब गंभीरता से चिंतन मनन करके कारगर कदम तो उठाने ही होंगें। नहीं तो सदियों से चली आ रही हमारी भारतीय संस्कृति को बिखरने में ज्यादा देर नहीं लगेगा।

पैसा कमाना भी कोई गलत नहीं है। परंतु पैसा कमाने के लिए ईमानदारी और नैतिकता को ताक पर रख देना कहां तक सही माना जाए? आजकल हो तो यही रहा है।
न तो फेसबुक पर आपको चाणक्य की परिभाषा वाले मित्र मिल सकते हैं और न परिवार के सदस्य मोबाइल छोड़कर आपस में बात करने का वक्त निकाल सकने को राजी हैं।

मैं सच में आपको डरा नहीं रही। आज की सच्चाई आपके सामने लाना चाहती हूं। कुछ सीरियल्स, वेब सीरीज तथा रियलिटी शो तो हमारी संस्कृति, संस्कारों की सभी हदों को लांघते हुए अश्लीलता के प्रदर्शन पर उतारू हो गए हैं। हमारे बच्चे  परिवार के बड़े-बड़े सदस्यों  के सामने बैठकर सीरियल्स में गाली गलौज देख रहे हैं। यह दृश्य देखकर सच में डर लगता है। गाली गलौज को सुनने मात्र से ही हमारे कान स्तब्ध रह जाते थे। अब ये गाली-गलौज, अश्लील चित्र लगातार 24 घंटे सातों दिन हमारे जीवन का हिस्सा हो गए हैं। ये सीरियल हम अपने बच्चों को घरों के अंदर ही इंटरनेट, मोबाइल, टीवी के माध्यम से दिखाये जा रहे हैं। जरा सोचिए इन हमारे छोटे बच्चों पर इसका क्या प्रभाव पड़ने वाला है। 

मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि व्यक्ति पढ़ने से इतना नहीं सीखता बल्कि जागरूक होकर जो अपने चारों ओर दृश्य देखता, सुनता है वह उसके चेतन मन में बैठ जाते हैं और उसके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाते हैं। 

मेरा आपसे निवेदन है कि अपने घरों से ऐसे सभी चैनल  जो मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता परोसते हैं, उनका हम हृदय से बहिष्कार करें। 

संपूर्णा के माध्यम से दो सालों में लगातार कार्यकर्ता देश में और विदेश में जहां-जहां भारतीय रहते हैं, इसके बहिष्कार का अलख जगाएंगे। आप भी यह निर्णय लें कि हम अपनी पीढ़ी और आगे आने वाली पीढ़ी को मनोरंजन के नाम पर गालियां नहीं देखने देंगे जिससे उनकी मानसिकता विकृत होती हो। 

हमारे यहां कहा जाता है कि हम जो कुछ बोलते हैं, वह ब्रह्मांड में चला जाता है और वही बाद में लौटकर हमारे कानों में प्रवेश करता है। ऐसे में आधुनिकता के नाम पर और पैसा कमाने के लिए इस प्रकार से हर किरदार के मुंह से गाली दिलवाना क्या हमारी संस्कृति है। इसके लिए यदि हम नहीं जागेंगे तो कौन जागेगा। मैं अगले लेख में फिर आपसे मिलूंगी। तब तक के लिए नमस्कार।

Published by
RJS POSITIVE MEDIA
9811705015,
8368626368.
------------------------------------

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

पूरी तरह से कृषि कार्यो में प्रयोग होने वाले कृषि उपकरण,खाद,बीज,दवाई आदि पर जीएसटी से मुक्त करने का वित्त मंत्री ने किसानों को आश्वासन दिया- धर्मेन्द्र मलिक

आत्महत्या रोकथाम दिवस पर विश्व भारती योग संस्थान के सहयोग से आरजेएस पीबीएच वेबिनार आयोजित.

वार्षिकोत्सव में झूम के थिरके नन्हे बच्चे।