मनुष्य अपनी सोच का ही परिणाम है इसीलिए हमारी सोच सकारात्मक होनी चाहिए । यहीं गीता का सन्देश है ---शांता कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश

3 अगस्त की याद में
 (भाग - ख )
मनुष्य अपनी सोच का ही परिणाम है इसीलिए हमारी सोच सकारात्मक होनी चाहिए । यहीं गीता 
 का सन्देश है । 
दुख किसके जीवन में नही होता । सुख - दुख , प्रकाश - अन्धकार जीवन और मृत्यु सदा साथ - साथ रहे हैं और हमेशा साथ - साथ रहेंगे । हमें भी इनके साथ ही जीना सीखना होगा । सोच सकारात्मक रहे तो कठिनाईओं में भी जीवन पुष्प मुरझाता नही खिलता रहता है ।
 नकारात्मक सोच जीवन को पूरी तरह अन्धकार में डूबो देती है । मनुष्य के दुख का सबसे बड़ा कारण यही है कि जो पास होता है वह दिखाई नही देता और जो नही होता है उसके लिए छटपटाते रहते है । याद रखें नजर बदले तो नजारा बदल जाता है । 
सिनेमा के कुछ गीतों में जीवन का सत्य कहा गया है । मैं इन पक्तियों को सदा गुनगुनाता रहता हूं :-
 मैं ज़िदगी का साथ निभाता चला गया / हर फिक्कर को हंसी में उड़ाता चला गया / जो भी मिला उसको मुकदर समझ लिया / जो रह गया उसको भूलता चला गया ।
 इस गीत की अन्तिम दो पक्तियां बहुत ही महत्वपूर्ण है : -
बरबादियों का शोक मनाना फिजूल था / बरबादियों का जश्न मनाता चला गया / मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया ।
 परिवार ने तय किया है कि 3 अगस्त को परिवार के मन्दिर में पूजा करेंगे । अच्छा खाना बनायेंगे और सन्तोष की याद में मुस्करायेंगे ।
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