डीटीसी की नीली बसो के स्टैंड साइड ग्रिल पर पोते जा रहे हैं। जबकि इस स्टैंड पर ना तो कोई यात्री चढ़ता है और ना ही उतरता है, सबसे ज्यादा खतरा तो इस बात का है,कि इस पुल पर लूटपाट का खतरा बना रहता है।

डीटीसी की नीली बसो के स्टैंड साइड ग्रिल पर पोते जा रहे हैं।जबकि इस स्टैंड पर ना तो कोई यात्री चढ़ता है और ना ही उतरता है, सबसे ज्यादा खतरा तो इस बात का है,कि इस पुल पर लूटपाट का खतरा बना रहता है। 
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में चालित वातानुकूलित नीली बसो में यात्रा करना अब खतरे से खाली नही है। खासतौर पर रुट नं.274 (बाबरपुर टर्मिनल से अबुल फजल एन्क्लेव)जब शांति वन रैडलाइट से गीता कालोनी फ्लाईओवर पर जब चढ़ती है,तो 500 मीटर की दूरी पर साइड की ग्रिल को नीले रंग से पोत कर बस स्टैंड बना दिया गया है,बेचारा ड्राइवर वहां नीली ग्रिल का स्टैंड ढूंढे या सामने देखकर गाडी चलाए,इतना ही नहीं इसी मार्ग पर पुल के बीचों-बीच फिर ग्रिल पर नीला रंग पोत कर स्टैंड बना दिया गया है।जबकि इस स्टैंड पर ना तो कोई यात्री चढ़ता है और ना ही उतरता है, सबसे ज्यादा खतरा तो इस बात का है,कि इस पुल पर लूटपाट का खतरा बना रहता है। 
पुलिस रिकार्ड के अनुसार गीता कालोनी फ्लाईओवर पर आए दिन लूटपाट होती रहती है, इसके बावजूद यहां बस स्टैंड बनाना और बस को 10 सैकेंड रोककर खड़ा करने के निर्देश भी विभाग ने दे रखे है, अन्यथा बस में जीपीएस सिस्टम लगे होने के ड्राइवर साहब का वेतन काट लिया जाता है। बस में 100 प्रतिशत सीट फुल होने के बावजूद बस को स्टाप पर रोकना,कई बार झगड़े का कारण बन जाता है।बाहर स्टैंड पर खड़ा यात्री झुंझलाहट में बस का दरवाजा पीटने लगता है।इन सब परिस्थितियों पर डीटीसी के आला अधिकारियों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट को चलाते हुए लोगों से भी सलाह लेनी चाहिए। बहरहाल बस यात्री विजय शर्मा का कहना है,कि डीटीसी के डिजाइनर अधिकारी वातानुकूलित कमरों में बैठकर तुगलकी फरमान जारी कर लोगों की सुगम यात्रा को कष्ट पूर्ण बना देते हैं। दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री और विभाग के आलाधिकारी इस ओर विशेष ध्यान दे।

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