जब वर्ष 2016 में अवार्ड देने के राष्ट्रपति भवन बुलाया गया तो इन्होंने कहा "साहिब, दिल्ली आने तक के पैसे नहीं है, कृपया पुरस्कार डाक से भिजवा दो" ये उड़ीसा के हैं. इनका नाम है हलधर नाग, ये कोषली भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं, खास बात यह है कि इन्होंने जितनी भी कविताएँ और 20 महाकाव्य लिखे हैं वो सब इन्हें जुबानी याद है-जगदीश चावला. #rjspositivemedia

सहचिन्तन 🔹
इनकी फोटो देखिये और इनके बारे में जानिए ये हैं कौन?
ये देश के नामी पुरस्कार पद्मश्री पुरस्कार के विजेता हैं l पुरस्कार पाने से पहले इनके नाम के आगे श्री भी कभी नहीं लगा था...... इनकी कुल जमा पूंजी कुल 732 रुपये है..... जायदाद के नाम पर इनके पास महज तीन जोड़ी कपड़े, एक टूटी रबर की चप्पल और एक चश्मा है......... इनको जब वर्ष 2016 में अवार्ड देने के राष्ट्रपति भवन बुलाया गया तो इन्होंने कहा "साहिब, दिल्ली आने तक के पैसे नहीं है, कृपया पुरस्कार डाक से भिजवा दो" 
ये उड़ीसा के हैं इनका नाम है हलधर नाग, ये कोषली भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं, खास बात यह है कि इन्होंने जितनी भी कविताएँ और 20 महाकाव्य लिखे हैं वो सब इन्हें जुबानी याद है. सादा लिबास, सफेद धोती, गमछा और बनियान पहने, हलधर नंगे पैर ही रहते हैं.....
हलधर नाग के बारे में आप जानेंगे तो प्रेरणा से ओतप्रोत हो जायेंगे, हलधर एक गरीब दलित परिवार से आते हैं, 10 साल की उम्र में मां बाप के चले जाने के बाद उन्होंने तीसरी कक्षा में ही पढाई छोड़ दी थी.. अनाथ जैसी जिंदगी जीने पर मजबूर हो गये, होटलों में लोगों के जूठे बर्तन साफ किये.. बाद में रसोई में देख रेख का काम मिला , कुछ वर्षों बाद बैंक से 1000 रूपये कर्ज लेकर उसी स्कूल के सामने पेन पेंसिल की दुकान खोल ली जिसमें वो छुट्टी के समय पार्ट टाइम बैठ जाते थे, यह तो थी इनकी अर्थव्यवस्था . ..
हलधर ने 1995 के आसपास स्थानीय उडिया भाषा में, " राम शबरी "जैसे कुछ धार्मिक प्रसंगों पर लिख लिख कर सुनाते थे.. भावनाओं से पूर्ण कवितायें लोगों को जबरन सुनाते थे.. कुछ दिन बाद वे लोगों के बीच इतने प्रसिद्ध हो गयें कि माननीय राष्ट्रपति द्वारा इन्हें साहित्य का पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया...
इतना ही नहीं 5 शोधार्थी इनके साहित्य पर PHD कर रहे हैं जबकि हलधर जी खुद तीसरी कक्षा तक पढ़े थे... 
आप किताबों में प्रकृति को चुनते हैं, पद्मश्री ने प्रकृति से किताबों को चुना है l ♦️

                  ll संकलन :  जगदीश चावला ll

                                                           * साभार

Comments

  1. वाक़ई हमरे देश में ऐसे लाखों प्रतिभा शाली व्यक्तित्व मौजूद हैं , जिन्होंने कभी अपनी गरीबी या आर्थिक तंगी या किसी अन्य समस्याओं की मजबूरी को नही गिनाया बल्कि उन मजबूरियों नज़र अंदाज़ कर , विकट परिस्थितियों में भी ऐसे महान कार्य किये हैं जो आम इंसान के बस बात नहीं है । ऐसे व्यक्ति देश व समाज के प्रेरणा स्रोत हैं

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