93 साल की उम्र में भी युवाओं को कलारीपयट्टू का प्रशिक्षण देने वाले वल्लभट्ट कलारी के गुरुक्कल ‘श्री शंकरनारायण मेनन जी’ को सरकार ने किया पद्मश्री सम्मान से सम्मानित
93 साल की उम्र में भी युवाओं को कलारीपयट्टू का प्रशिक्षण देने वाले वल्लभट्ट कलारी के गुरुक्कल ‘श्री शंकरनारायण मेनन जी’ को सरकार ने किया पद्मश्री सम्मान से सम्मानित
अपनी कला को प्रदर्शित करने की कोई उम्र नहीं होती। इंसान हर उम्र में अपनी कला का परिचय का दे सकता है। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण है केरल के रहने वाले वल्लभट्ट कलारी के मुख्य प्रशिक्षक और वर्तमान गुरुक्कल श्री शंकरनारायण मेनन चुंडायिल (Shankarnarayana Menon Chundayil) जी। जो आज 93 साल की उम्र में भी युवाओं के समान जोश रख लोगों को इस कला से प्रशिक्षित कर रहे हैं। वो 100 से अधिक युवाओं को अभी तक प्रशिक्षित कर चुके हैं। यही कारण है कि उनकी कला को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। लेकिन श्री शंकरनारायण मेनन चुंडायिल जी जी के लिए 93 साल की उम्र में भी वल्लभट्ट कलारी को नई पहचान दिलाने का सफर तय करना आसान नहीं था। आइए जानते हैं उनके जीवन की प्रेरणादायी कहानी।
6 साल की उम्र से कर रहे हैं कलरीपायट्टु का अभ्यास
1929 में केरल में जन्मे श्री शंकरनारायण मेनन जी ने छह साल की उम्र में अपने पिता से कलरीपायट्टु सीखना शुरू किया था। उस समय जो सख्त दिनचर्या उन्हें सिखाई वह आज भी उसका पालन कर रह हैं। वह रोज सुबह खुद बच्चों को ट्रेन देते हैं। श्री शंकरनारायण कलारी को सीखाने वाले मुदावंगटिल परिवार के सबसे वरिष्ठ व्यक्ति हैं। परिवार के पास मालाबार में वेट्टथु नाडु के राजा की सेना का नेतृत्व करने की विरासत में है। थ्रीसूर, केरल के चवक्कड़ (Chavakkad) में वल्लभट्ट कलारी (Vallabhatta Kalari) नामक प्रशिक्षण केन्द्र चलाते हैं श्री शंकरनारायण। उन्नी गुरुक्कल और उनके परिवार ने कलारी या कलारीपयट्टू को मशहूर करने में बेहद अहम भूमिका निभाई है।
93 साल की उम्र में भी सीखा रहे हैं घरेलू मार्शल आर्ट
93 साल के कलरीपायट्टु(Kalaripayattu) प्रशिक्षक दिग्गज श्री शंकरनारायण मेनन जी दशकों से केरल के इस सालों पुराने मार्शल आर्ट्स का अभ्यास कर रहे हैं और इसका प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। श्री शंकरनारायण मेनन जी (Shankar Menon) 93 साल के हो चुके हैं और आज भी केरल में वल्लभट्ट कलारी (कलरीपायट्टु का एक प्रकार) के मुख्य प्रशिक्षक हैं। उनके नेतृत्व में करीब 5000 युवा मार्शल आर्ट्स को सीख रहे हैं जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। श्री शंकरनारायण का पूरा परिवार इस मार्शल आर्ट्स से जुड़ा हुआ है। श्री शंकरनारायण का परिवार लाबार में वेट्टथु नाडु के राजा की सेना का नेतृत्व करता था।
कई युवाओं को दे चुके हैं मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग
श्री शंकरनारायण मेनन जी केरल में वल्लभट्ट कलारी के मुख्य प्रशिक्षक और वर्तमान गुरुक्कल हैं, उनके नेतृत्व में तकरीबन 100 युवा प्रशिक्षु प्रशिक्षण भी ले चुके है। । उन्नी गुरुक्कल और उनके बच्चों ने कलारीपयट्टू को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर विदेशों की यात्रा की है। अब तक, वल्लभट्ट कलारी दुनिया भर में 17 शाखाओं में 5,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित कर चुकी है। श्री शंकरनारायण के प्रशिक्षण केन्द्र ने आज देश ही नहीं दुनियाभर में केरल के इस मार्शल आर्ट फ़ॉर्म को मशहूर कर दिया है। वे यूएसए, यूके, फ़्रांस आदि देशों में 5000 से ज़्यादा छात्रों को कलारीपयट्टू का प्रशिक्षण दे चुके हैं।
'उन्नी गुरुक्कल' के नाम से हैं मशहूर
श्री शंकरनारायण मेनन चुंडायिल (Shankarnarayana Menon Chundayil) जी कलारीपयट्टू का अभ्यास करने वाले सबसे वरिष्ठ भारतीय हैं। 93 की उम्र में भी वो केरल के इस मार्शल आर्ट फ़ॉर्म का न सिर्फ़ अभ्यास करते हैं बल्कि छात्रों को प्रशिक्षित भी करते हैं। उन्हें 'उन्नी गुरुक्कल' (Unni Gurukkal) के नाम से जाना जाता है।
क्या है कलरीपायट्टु
कलरीपायट्टु भारत की अपनी वर्षों पुरानी मार्शल आर्ट फॉर्म है। दक्षिण भारत के केरल में शुरू हुई ये कला विश्व की पुरानी युद्ध कलाओं में शामिल है। कलरीपायट्टु दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला शब्द है कलरी जिसका मतलब ‘स्कूल’ या ‘व्यायामशाला’ है, वहीं दूसरे शब्द पायट्टु का मतलब होता है ‘युद्ध या व्यायाम करना। कहा जाता है कि अगस्त्य मुनि को इस कला को जन्म दिया था। उन्होंने इसकी रचना जंगली जानवरों से लड़ने के लिए की थी। माना जाता है कि जंगलों में भ्रमण करते समय मुनि का सामना शेरों और ताकतवर जंगली जानवर से होता था। उन्होंने इन हमलों से अपनी सुरक्षा के लिए कलरीपायट्टु को जन्म दिया। कलरीपायट्टु को मार्शल आर्ट के साथ-साथ हीलिंग आर्ट भी माना जाता है। यह प्राकृतिक रूप से फिजियोथेरेपी का काम भी करता है। साल 2020 में इस मार्शल आर्ट को खेलों इंडिया गेम्स में शामिल किया गया था।
पद्मश्री से हुए सम्मानित
देश के सबसे पुराने मार्शल आर्ट फॉर्म 'कलारीपयट्टू' को देश-विदेश में नई पहचान दिलाने वाले दिग्गज प्रशिक्षक श्री शंकरनारायण मेनन चुंडायिल जी की कला को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। यही नहीं वो कई अन्य सम्मान से भी सम्मानित हो चुके हैं।
'कलारीपयट्टू' को देश-विदेश में नई पहचान दिलाने वाले दिग्गज प्रशिक्षक श्री शंकरनारायण मेनन चुंडायिल जी आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। 93 साल की उम्र में भी युवाओं के समान जोश रख उन्होंने अपनी सफलता की कहानी लिखी है। Bada Business 'कलारीपयट्टू' को देश-विदेश में नई पहचान दिलाने वाले दिग्गज प्रशिक्षक श्री शंकरनारायण मेनन चुंडायिल जी जी के मेहनत और उनकी कला की तहे दिल से सराहना करता है।
सौ. डा.विवेक बिंद्रा
RJS POSITIVE MEDIA,
9811705015.
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