75 वें स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगे की ऐतिहासिक यात्रा - एक संदेश : प्रोफेसर जगमोहन सिंह #rjspositivemedia

75 वें स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगे की ऐतिहासिक यात्रा - एक संदेश : प्रोफेसर जगमोहन सिंह #rjspositivemedia

तिरंगा : " स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा " इन तीनों सामाजिक मूल्यों को प्रदर्शित करता हैं, जिसके चलन से समाज आज़ादी की और प्रगति करता हैं।

21 अगस्त 1907 को जर्मन के शहर स्टुगट में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन के दौरान आजाद भारत की घोषणा करते हुए मैडम भीकाजी कामा ने तिरंगा फहराया था।

इन्हीं सामाजिक मूल्यों को आधार बनाते हुए 1913 में गदर पार्टी द्वारा सैन फ्रांसिस्को स्थित मुख्यालय जुगांतर आश्रम में फहराया गया था। जिसको परिभाषित करते हुए 1915 में शहीद करतार सिंह सराभा ने अपने ऐतिहासिक अदालती बयान में स्पष्टता से दोहराया था।

26 जनवरी 1930 को संपूर्ण आजादी का प्रस्ताव पारित करने के बाद रावी तट पर इसी तिरंगे की कसम ली गई थी। भगत सिंह और उनके साथियों ने ये स्पष्टता मांगी थी कि संपूर्ण आजादी से आम मेहनतकश लोगों को क्या प्राप्त होगा? तभी 26 मार्च 1931 को कराची अधिवेशन में सामाजिक मूल्यों को परिभाषित करते हुए तिरंगे को कौमी झंडे के तौर मान्यता दी गई। मौलिक अधिकारों के प्रस्ताव को पारित करते हुए ये आश्वासन दिया गया कि मौलिक अधिकारों की स्थापना से इन्हीं मुल्यों को प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाया जाएगा।

9 अगस्त 1942 को तिरंगे के अधीन भारत के नौजवानों ने अगस्त क्रांति में अपनी आहुतियां दी थी।

इसी संकल्प को लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के गठन पर तिरंगे को अपनाया।

1946 में भारतीय नौसेना बगावत और मजदूरों की हड़ताल के दौरान भी भारतीय एकता का प्रतिक तिरंगा झंडा फहराया गया।

सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय को स्थापित करने के लिए तिरंगे के तीनों मूल्यों को लेकर 1950 में भारतीय संविधान की प्रस्तावना में निम्नलिखित भाव से स्पष्ट अंकित किया गया हैं :-

स्वतंत्रता : विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की
समानता : प्रतिष्ठा और अवसर की
भाईचारा : व्यक्ति की गरिमा, राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए।

ये सफर क्या कहीं बदल तो नहीं रहा है? जो संवैधानिक तिरंगा हैं, वो स्वदेशी की अवधारणा को मजबूत करता हैं, जिसकी भावना हैं कि लाखों हाथों को रोजगार मिले। जो कि वर्तमान में धनी कारपोरेट के द्वारा मशीनीकरण से बना तिरंगा और हमें उसका ग्राहक बनाकर हमारी एतिहासिक भावनाओं और विचारों पर गहरी चोट तो नहीं की जा रही।

आप तिरंगा तो जरूर उठाएं पर तीन ऐतिहासिक मूल्यों को याद करते हुए। पर यह सवाल जरूर करें कि यह स्वदेशी तिरंगा है या कारपोरेट (पुंजीपतियों) का बना तिरंगा?

 जय हिंद

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