इस बार 74 वां गणतंत्र दिवस और ऋतु परिवर्तन का प्रतीक पर्व वसंत पंचमी एक ही दिन है । एक शस्त्र पूजन है तो दूसरा शास्त्र पूजन। (राष्ट्र किंकर)

इस बार 74 वां गणतंत्र दिवस और ऋतु परिवर्तन का प्रतीक पर्व वसंत पंचमी एक ही दिन है । एक शस्त्र पूजन है तो दूसरा शास्त्र पूजन। 
 गणतंत्र दिवस राजशाही, तानाशाही से मुक्ति का पर्व है तो 'आया बसंत तो जाडा उड़नत' अर्थात वसंत इस बार की सर्दी के आंतक से मुक्ति का उदघोष है। गणतंत्र दिवस भारत माता के वंदन का अवसर है जब राजपथ पर परेड और झांकियों के माध्यम से शक्ति और सौंदर्य का प्रदर्शन करते हुए स्वतंत्रता की बलि बेदी पर आत्मोसर्ग करने वालों को श्रद्धा से स्मरण किया जाता है। तो वसंत पंचमी राष्ट्र की संस्कृति की रक्षा के लिए तप करने वालों के समक्ष नतमस्तक होने का अवसर हैं। एक शस्त्र पूजन है तो दूसरा शास्त्र पूजन। एक उल्लास का संचार करता है तो दूसरा आत्मविश्वास का। राजपथ पर शस्त्र प्रदर्शन का हमारा उद्देश्य किसी को डराना नहीं बल्कि यह बताना है कि हम किसी ने नहीं डरते।
यह हमारे लिए गर्व और गौरव का विषय है कि विश्व को गणतंत्र की अवधारणा हमने दी। कल्याणकारी राज्य की अवधारणा दुनिया के लिए नई हो परंतु इसकी जड़ें हमारी संस्कृति में पहले से ही विद्यमान रही हैं। आदर्श गणतंत्र की जो व्याख्या देवर्षि नारद करते हैं वह किसी भी आधुनिक लोकतांत्रिक व गणतंत्र व्यवस्था के लिए आदर्श है। धर्मराज युधिष्ठिर के सिंहासनरोहण के दौरान उन्होंने पांडव श्रेष्ठ से ऐसे प्रश्न पूछे जो आज आधुनिक युग में भी कल्याणकारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के आधार बने हुए हैं। यह सब हमारे यहां इसलिए संभव हो सका क्योंकि हम ज्ञान परम्परा के अनुयायी हैं। ज्ञान की देवी हंसवाहिनी, वीणावदिनी माँ सरस्वती के साधक, उपासक हैं। श्वेत हंस को सत्वगुणी और नीर-क्षीर विवेकी माना जाता है। हंसवाहिनी अपने साधकों को भी यह गुण प्रदान करती है। इसीलिए तो ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी से पूर्व माँ सरस्वती और विघ्नविनाशक गणपति का पूजन होता हैं।
आज ही के दिन प्रभु श्रीराम माता शबरी से मिले तो 1192 में पृथ्वीराज चौहान तथा 1734 में वीर हकीकत राय ने निज धर्म संस्कृति के लिए बलिदान दिया था। इसी दिन 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का शुभारंभ हुआ ।

गणतंत्र दिवस और वंसत पंचमी का संदेश है कि हर बसंत कठोर संघर्ष, बलिदान, भक्ति के मार्ग से होकर मिलता है। तो गणंतत्र की रक्षा के लिए संगठित सशक्त होना होगा।  बसंत के आनंद का अधिकार उसे है जो देश व समाज के हितार्थ कार्य करे तो गणतंत्र उसका जो अपनी अगली पीढ़ी को अपने आचरण से देश भक्ति का पाठ पढ़ाये। बसंत के इंद्रधनुषी रंगों और सुगंध समीर पर प्रथम अधिकार धर्म रक्षको का है तो गणतंत्र उसका जो देश के लिए जीता और मरता है। जय हिंद! जय वंसत! --- राष्ट्र किंकर

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