माननीय मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2023 का उद्घाटन किया. #rjspositivemedia
माननीय मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2023 का उद्घाटन किया
डॉ राजकुमार रंजन सिंह, माननीय शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार ने आज नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2023 का उद्घाटन किया। इस अवसर पर श्री इमैनुएल लैना, भारत में फ्रांस के माननीय राजदूत, श्री वेनसौं मौंताईन, प्रेजिडेंट, सिंडिकेट नेशनल डे लेएडिशन, फ्रांस, सुश्री आनी ओरनौ, नोबेल पुरस्कार विजेता, फ्रांस, श्री प्रदीप सिंह खरोला, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आईटीपीओ तथा श्री युवराज मलिक, निदेशक, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत की भी गरिमामय उपस्थिति रही।
इस अवसर पर माननीय मंत्री श्री रंजन ने कहा कि नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला साहित्य और संस्कृति के सामंजस्य का विश्व का सबसे बड़ा मंच है, साथ ही यह विचारों के आदान-प्रदान की सुविधा भी प्रदान करता है। इस वर्ष के विश्व पुस्तक मेले में सम्मानित अतिथि देश फ्रांस के साथ आने वाले 9 दिनों में न केवल भारत में बल्कि विदेशों में पढ़ने के माध्यम से ज्ञान के प्रसार को बढ़ावा देगा।
माननीय मंत्री महोदय ने प्रधानमंत्री युवा योजना और भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की इंडिया@75 शृंखला के अंतर्गत प्रकाशित विभिन्न पुस्तकों का विमोचन किया। नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले की 50 साल की यात्रा के उपलक्ष्य में एक डाक टिकट भी लॉन्च किया गया। डॉ राजकुमार रंजन सिंह ने हॉल नंबर 5 में जी-20 और फ़ॉरेन पवेलियन के साथ-साथ बाल मंडप और विभिन्न भाषों के प्रकाशकों का भ्रमण करने के बाद थीम मंडप का भी उद्घाटन किया।
श्री युवराज मलिक ने अपने सभी अतिथियों और भागीदारों का इस विश्व पुस्तक मेले में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक मेला सभी प्रकाशकों और पुस्तक प्रेमियों के लिए एक सुनहरा अवसर होगा। उन्होंने किताबों के इस अद्भुत संसार में भाग लेने के लिए और बड़ी संख्या में मेले में आने के लिए सभी क्षेत्रों के पाठकों को आमंत्रित किया। आगे उन्होंने कहा कि नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला लोगों को शिक्षित, सशक्त और सक्षम बनाने का उत्कृष्ठ मंच है।
श्री इमैनुएल लैना ने इस अवसर पर कहा कि हम भारत के बारे में एक बात की सराहना करते हैं, वह है इसकी विविधता। इस विविधता के कारण ही फ्रेंच पुस्तकें विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्रकाशित हुई हैं। आगे उन्होंने कहा कि मेले में विभिन्न पेशेवर समुदायों के साथ विचारों के आदान-प्रदान से दोनों देशों के बीच सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे।
श्री प्रदीप सिंह खरोला ने भी सभी अतिथियों का स्वागत किया और इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में सहयोग करने के लिए सभी को मेले में आने के लिए आमंत्रित किया। पुस्तकें ज्ञान के संरक्षण और प्रसार के लिए एक प्रभावी उपकरण हैं और आईटीपीओ के लिए इस बड़े पैमाने के आयोजन की मेजबानी करना गर्व की बात है।
श्री वेनसौं मौंताईन ने अपने वक्तव्य में कहा कि पुस्तक मेला एक सामूहिक साहसिक कार्य है जो हमारी विचार प्रक्रियाओं का पोषण करते हैं। अप्रैल 2022 में पेरिस पुस्तक महोत्सव में अतिथि देश के रूप में भारत की उपस्थिति ने फ्रांस को कहानी, पवित्र ग्रंथ, कविता और थिएटर जैसी विभिन्न विधाओं से रूबरू होने का अवसर प्रदान किया। सुश्री एनी एर्नॉक्स ने कहा कि भारत संरक्षित कलात्मक समृद्धि का देश है और यहाँ मनाया जाने वाला साहित्य दुनिया भर में ज्ञान और जीवन को बदलने के लिए जारी है।
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला – दुनिया के सबसे बड़े पुस्तक मेले में से एक – फिर से पुस्तक प्रेमियों के लिए पूरी क्षमता के साथ आ गया है। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और भारत व्यापार संवर्धन संगठन के संयुक्त तत्वावधान में नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 25 फरवरी से 5 मार्च 2023 तक चलेगा।
आजादी
का अमृत महोत्सव समारोह और भारत के जी-20 प्रेसीडेंसी
के वर्ष के अवसर पर, नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला इस वर्ष अपनी
50
वर्ष
की यात्रा का जश्न मना रहा है। 9 दिनों तक चलने
वाले इस पुस्तक मेले में बड़ी संख्या में भारतीय और विदेशी प्रकाशकों द्वारा प्रगति
मैदान के नए अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र में पुस्तकों का एक विशाल संग्रह
देखने को मिलेगा। थीम मंडप में पहला सत्र 'अश्विन
सांघी के साथ प्राइम टॉक' था जहाँ उन्होंने
दर्शकों के साथ अपनी साहित्यिक सफलता के रहस्य साझा किए। उन्होंने प्रधानमंत्री
युवा योजना के अंतर्गत चयनित लेखकों से भी चर्चा की। अगले सत्र में भगत सिंह के पोते
श्री यादवेंद्र सिंह संधू ने भगत सिंह द्वारा लिखे गए आखिरी पत्र का पाठ किया
जो उनकी बहन अमर कौर को संबोधित था। उन्होंने भगत सिंह की जेल डायरी- शहीद भगत सिंह
के हस्तलिखित पत्रों का संकलन भी लॉन्च किया, जो उन्होंने
जेल में अपने समय के दौरान लिखे थे। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास प्रदर्शनी के दौरान
"क्रांति ग्रंथ" के रूप में अभिव्यक्त मूल पांडुलिपि भी प्रस्तुत की जाएगी
क्योंकि श्री यादवेंद्र सिंह संधू का मानना है कि प्रत्येक भारतीय को इसे देखना और
महसूस करना चाहिए।
रोमांचक सत्रों से भरा बाल मंडप स्कूली बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय रहा। दिन की शुरुआत कवयित्री खर्तिका नायर और फ्रेंच इलस्ट्रेटर जोएल जोलीवेट द्वारा 'ए नेस्टफुल ऑफ लाइट' के व्याख्यान-प्रदर्शन के साथ हुई। इसके बाद बच्चों के लिए रूस की लेखिका और कवियित्री सुश्री अनास्तासिया ओरलोवा ने एक सत्र आयोजित किया जिसमें 'छोटे बच्चों को पढ़ना क्यों महत्वपूर्ण है' पर चर्चा की गई। अगले सत्र में 'नृत्य कथा' पुस्तक की लेखिका और ओडिसी नर्तकी जया मेहता ने भारत की विभिन्न नृत्य शैलियों की झलक दी, जिसके बाद बच्चों के एक समूह ने नृत्य प्रस्तुत किया। वैक्सिलोलॉजी पर एक विशेष सत्र- झंडों का अध्ययन में मोहित गुप्ता ने स्कूली छात्रों के साथ बातचीत की और विभिन्न राष्ट्रों के झंडों पर दिलचस्प तथ्य प्रदान किए। शाम को सुश्री जयश्री सेठी ने कहानी सुनाने के रोचक सत्र से बच्चों को मंत्रमुग्ध किया।
प्रगति मैदान में मेले का पहला दिन पुस्तक प्रेमियों के साथ लाइव था जो अपनी पसंद की किताबें का आनंद ले रहे थे, जीवंत साहित्यिक और चर्चा सत्रों में भाग ले रहे थे और सांस्कृतिक प्रदर्शन का आनंद ले रहे थे।
इस 9 दिन के पुस्तक मेले में भारी संख्या में लेखक, व्यापार आगंतुक, प्रदर्शक, सांस्कृतिक मंडली के साथ-साथ लगभग 15 लाख से अधिक पुस्तक प्रेमी, बच्चे, अभिभावक, विद्यालय, पुस्तकालयाध्यक्ष और सामान्य पाठकगण के आने की उम्मीद है।
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