प्रशंसनीय है कि आईएमए की शाखाएं विशाल ग्रामीण आबादी की चिकित्सा आवश्यकताओं को नए सिरे से जानने का कार्य करेंगी।
प्रशंसनीय है कि आईएमए की शाखाएं विशाल ग्रामीण आबादी की चिकित्सा आवश्यकताओं को नए सिरे से जानने का कार्य करेंगी।
यह ज्ञात है कि ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा के बुनियादी ढांचे और डॉक्टरों, विशेषज्ञों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों की बहुत अपर्याप्तता है, जबकि स्वास्थ्य- सुविधाएं अधिकांशत: शहरी क्षेत्रों में केंद्रित हैं, क्योंकि यह डॉक्टरों की नई पीढ़ियों आदि के लिए उनके क्लीनिक आदि शुरू करने के लिए आर्थिक रुप से लाभदायक है। हालांकि राज्यों और केंद्र द्वारा स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में त्रिस्तरीय ग्रामीण- स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के कवरेज का विस्तार करना और उन्हें हैल्थ एवं वैलनस सेन्टर में रूपान्तरित करने के लिए बहुत सारे काम किए गए हैं, पर निश्चित रूप से अभी इस दिशा में भारी कार्य करने की जरूरत है। आईएमए लीक से हटकर सोचना पसंद कर सकता है और हमारे ग्रामीण हमवतन लोगों की स्वास्थ्य -संबंधी जरूरतों के इस पहलू पर नए सिरे से गंभीर विचार कर सकता है। क्या आरजेएस पॉजिटिव मीडिया द्वारा यह सुझाव देना बहुत अधिक होगा कि आईएमए को बड़ी संख्या में नए डॉक्टरों को इस संदर्भ में प्रेरित करना चाहिए और उन लोगों में से जो पहले से ही दशकों से शहरों में मैडिकल प्रैक्टिस कर रहे हैं, ग्रामीण क्षेत्रों की जरूरतों को यथासंभव पूरा करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी मैडिकल प्रैक्टिस काे परोपकारी रूप से और सरकारी प्रयासों की जनभागीदारी के रूप में स्थानांतरित करें। डॉक्टरों के उदाहरण हैं, जिन्होंने शहरों के ग्लैमर काे तथा चिकित्सा पद्धति की अधिक लाभान्वित की संभावनाओं काे त्याग दिया, बल्कि ग्रामीणों के बीच रहने और घर के पास उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने काे अपने जीवन का लक्ष्य बनाया! आईएमए ग्रामीण आबादी की स्वास्थ्य-संबंधी आवश्यकताओं के लिए, कुछ डॉक्टरों को प्रेरित करने के बारे में सोच सकता है।
अशोक कुमार मलिक, कवि
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