रामजानकी संस्थान (RJS) पीबीएच ने आयोजित किया वेबिनार-" रंगबिरंगे धागों का पक्का संबंध : रक्षाबंधन"

रामजानकी संस्थान (RJS) पीबीएच ने आयोजित किया वेबिनार-
" रंगबिरंगे धागों का पक्का संबंध : रक्षाबंधन"
  आरजेएस पीबीएच द्वारा रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में रंगबिरंगे धागों का पक्का संबंध विषयक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। आरजेएस पीबीएच के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदयकुमार मन्ना ने इस वेबिनार के महत्व को रेखांकित किया। इस वेबिनार में कथावाचक आचार्य प्रभात जी शास्त्री, कार्यक्रम के मेजबान और आरजेएस पीबीएच पैनलिस्ट पंडित प्रफुल्ल पाण्डेय, विषय के मुख्य वक्ता लेखक पार्थसारथि थपलियाल, आरजेएस सूचना केन्द्र, पटना की प्रभारी  डॉ मुन्नी कुमारी, आरजेएस प्रवक्ता एवं कवि श्री अशोक कुमार मलिक, श्रीमती मंजू थानवी,  स्वयं का स्वामी चिन्तन के विचारक श्री सुरजीत सिंह जी दीदेवार शामिल थे। इस वर्ष रक्षाबंधन का त्यौहार 30 अगस्त को शुरू है। इस दिन भद्रा संज्ञक तिथि भी है। ज्योतिष में तिथियां 5 प्रकार की होती हैं- नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता और पूर्णिमा। इनमें से भद्रा संज्ञक तिथि में शुभकार्य वर्जित होते हैं। पूर्णिमा 31 तारीख को सुबह तक है। अतः जिस तिथि में दिन आरम्भ होता है वही उस दिन के नाम हो जाती है। यह चर्चा वेबिनार में आरजेएस पैनलिस्ट व विद्वान वक्ता पंडित प्रफुल्ल पाण्डेय ने बताई। उन्होंने आचार्य प्रभात शास्त्री जी का परिचय करवाया जिन्होंने रक्षाबंधन के पौराणिक संदर्भों की जानकारी दी। साथ ही बताया कि 31 अगस्त को पूरे दिन रक्षाबंधन मनाया जा सकता है।
      पटना से आरजेएस सूचना केन्द्र की कर्मठ कार्यकर्ता भगनी डॉ मुन्नी कुमारी ने भाई बहन के पवित्र संबंधों की डोर बताते हुए आंचलिकता का भी चित्रण किया। भारतीय संस्कृति सम्मान अभियान के संयोजक, व लेखक पार्थसारथि थपलियाल ने रक्षाबंधन के पौराणिक, ऐतिहासिक, सामाजिक व सांस्कृतिक पहलुओं पर सोदाहरण अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि रक्षा बंधन के कई आंचलिक स्वरूप हैं हम सभी का सम्मान करना चाहिए । यह त्यौहार राष्ट्र का त्यौहार बने। हम सब एक दूसरे की रक्षा करने के विचार से रक्षाबन्धन मनाएं। उन्होंने आरजेएस पीबीएच के न्यूज़ लेटर के तीसरे संस्करण का लोकार्पण किया।
राजस्थान के जोधपुर शहर से वेबिनार में जुड़ी श्रीमती मंजुलता थानवी, बासंती परिधान में भारतीय नारी की गरिमा को बताते हुए अपनी बात मारवाड़ी में शुरू करते हुए हिंदी में अपने विचार रखने लगी। उन्होंने कहा राखी केवल त्यौहार नही है यह भारतीय प्रवाहमान परम्परा है। प्रखर चिंतक, कवि और आरजेएस प्रवक्ता श्री अशोक मलिक ने भारतीय चिंतन परम्परा में रक्षाबंधन के महत्व पर प्रकाश डाला। बीच बीच में आरजेएस राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना आरजेएस की अमृतकाल की गाथाओं का विवरण भी देते रहे। आरजेएस से पूर्ण मनोभाव से सक्रिय स्वयं का स्वामी के प्रचारक श्री सुरजीत सिंह जी दीदेवार ने धागों के पवित्र बंधन के महत्व पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने अपना विचार अपना स्वामी के चिंतन पर भी व्यक्त किया। अंत मे आरजेएस पैनलिस्ट प्रफुल्ल पाण्डेय ने सभी का आभार व्यक्त किया।
   भले ही रक्षाबंधन में 3-4 दिन हैं । लेकिन त्यौहार के प्रति जागरूकता पैदा करना आरजेएस का सकारात्मक पत्रकारिता सकारात्मक भारत-उदय आंदोलन का हिस्सा रहा है।

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