श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बांसुरी और बांसुरी वादन पर आरजेएस पीबीएच की हुई ऑनलाइन बैठक
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बांसुरी और बांसुरी वादन पर आरजेएस पीबीएच की हुई ऑनलाइन बैठक
नई दिल्ली । श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बांसुरी व बांसुरी वादन के बारे में नई नई जानकारियां देने
के लिए कवि और आरजेएस पीबीएच प्रवक्ता अशोक कुमार मलिक के साथ ऑनलाइन एक बैठक हुई।श्री मलिक स्वांत:सुखाय बांसुरी वादन करते हैं।
कवि अशोक कुमार मलिक .
आरजेएस पीबीएच संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने बताया कि ढोल मृदंग, झांझ, मंजीरा, ढप, नगाड़ा, पखावज और एकतारा में सबसे प्रिय बांस निर्मित बांसुरी भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय है। इसे वंसी, वेणु, वंशिका और मुरली भी कहते हैं।बांसुरी के अन्य नाम बांही, बाशी, बंसी, बसरी और मुरली हैं।
बांसुरी से निकलने वाला संगीत स्वर लहरी मन-मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है। जिस घर में बांसुरी रखी होती है वहां के लोगों में परस्पर तो बना रहता है साथ ही सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। श्रीमद्भागवत पुराण में श्रीकृष्ण की बांसुरी से जुड़ी कई कथाएं मिलती हैं।
राम जानकी संस्थान पॉज़िटिव ब्राॅडकास्टिंग हाउस आरजेएस पीबीएच के पाॅजिटिव मीडिया डायलॉग में बाँसुरी के विषय में कवि अशोक कुमार मलिक से पैनलिस्ट प्रफुल्ल पाण्डेय ने अनेक प्रश्न किये, और
श्री कृष्ण के लाेकप्रसिद्ध बाँसुरी-वादन के आध्यात्मिक एवं प्रतीकात्मक अर्थ पर प्रकाश डालने का अनुराेध किया।
कवि अशाेक कुमार मलिक ने ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः कहते हुए कहा कि
जन्माष्टमी के परम पावन अवसर पर भारतवर्ष ही नहीं, अपितु विश्व में श्री कृष्ण की लीलाओं काे एवं श्रीमद्भगवद्गीता के सन्देश काे स्मरण किया जा रहा है।बाँसुरी अत्यन्त पुरातन वाद्य है, और यद्यपि सीखना सहज है, क्याेंकि सँगीत अगाध है, किसी भी वाद्य की साधना जीवन पर्यन्त की साधना है एवं यह नाद-ब्रह्म की ही साधना है! भक्त मीरा की बाँसुरी -संबन्धी पंक्तियाे का उद्धरण करते हुए, कवि ने वृंदावन की रासलीला तथा वेणुवादन के गूढ़ार्थ पर प्रकाश डाला और साथ ही जीवन में श्रीमद्भगवद्गीता के सन्देश का महत्व रेखांकित किया। यद्यपि कवि अशाेक कुमार मलिक स्वान्त:सुखाय बाँसुरी बजाते है, तथापि उन्हाेंने
बैठक के अंत में प्रफुल्ल पाण्डेय ने आरजेएस पीबीएच की पुस्तक अमृत काल का सकारात्मक भारत भाग 1 पढ़ने की सलाह दी जिसमें सकारात्मक पत्रकारिता से सकारात्मक भारत की कल्पना की गई है जो बहुत ही संदेशात्मक और प्रेरकहै। इसमें आजादी की अमृत गाथा के 150 कार्यक्रमों का विवरण है।
आरजेएस पीबीएच संस्थापक उदय मन्ना ने कहा कि श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रमों की कड़ी में अमृत काल का सकारात्मक भारत भाग 170 अगले रविवार 10 सितंबर को सुबह 11 बजे से करने की घोषणा की। जिसमें दीदेवार जीवन ज्योति के संस्थापक आध्यात्मिक गुरु सुरजीत सिंह कोहली "आकर्षण का नियम" पर व्याख्यान और ओपन हाउस इंटरैक्टिव सेशन होगा। ज़ूम वेबिनार की मीटिंग आईडी: 848 2261 2768
और पासकोड : 936217 है। रविवार को अध्यात्म प्रेमी इसमें जुड़ सकते हैं।
उदय मन्ना
आरजेएस पीबीएच
8368626368.
6/9/2023
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