निगम बोध घाट पर महापौर का बयान भ्रामक,दाह संस्कार करने वाले पंडितो की फीस तय हो।

निगम बोध घाट पर महापौर का बयान भ्रामक,दाह संस्कार करने वाले पंडितो की फीस तय हो। 
नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम की महापौर डा.शैली ओबेरॉय द्वारा निगम बोध घाट पर जारी भारी अनियमितताओ का आरोप मनगढ़ंत और भ्रामक है।श्री देवोत्थान सेवा समिति (पंजी.)के महामंत्री विजय शर्मा ने इस संदर्भ में महापौर को लिखे पत्र में साफ किया है,कि वे सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करने की बजाए जमीन से जुडकर पिछले 13 साल पूर्व की स्थिति का आकंलन इसी घाट का करे,तो स्वत:ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।श्री शर्मा ने कहा,कि वर्तमान में दिल्ली के सबसे प्राचीन मोक्ष स्थल निगम बोध घाट,जमना बाजार की व्यवस्था जिस खूबी के साथ बडी पंचायत बीसे अग्रवाल सभा ने संभाली है,तब से इस घाट का चहुंमुखी विकास हुआ है। दूरदराज से लोग इस रमणीय स्थल को सबसे उत्तम मानते हैं, जिसमें सभा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।कोरोना काल हो या अन्य किसी गरीब की अंत्येष्टि का कार्य सभा ने जात-पात से ऊपर उठकर निशुल्क दाह संस्कार करवाया है, यहां तक की यह दिल्ली का पहला श्मशान घाट है, जहां मृतक शरीर को आलौकिक धारा से स्नान करवाया जाता है और प्रत्येक मृत शरीर के ऊपर सभा के माध्यम से एक पैकेट सामग्री, गंगाजल व तुलसीदल निशुल्क दिया जाता है।
 महापौर साहिबा ने यदि इस कार्य को नही देखा हो,तो ये उनका दुर्भाग्य है।श्री शर्मा ने कहा,कि दरअसल यहां विवाद दाह संस्कार करवाने वाले पंडितो से आए दिन कहासुनी होती रहती है,निगम द्वारा दाह संस्कार तय करने वाले पंडितो की फीस तय ना कर पाने की कमी को मेयर साहिबा छुपा रही है और घाट के सुचारू प्रबंधन पर उंगली उठा रही है।श्री शर्मा ने महापौर से आग्रह किया है,कि निगम बोध घाट के वर्तमान संचालन पर आरोप लगाने से पहले धरातल पर जुडकर आकंलन करना चाहिए,और तुरंत यहां दाह संस्कार कराने वाले पंडितो के रेट फिक्स करके जगह जगह बड़े बड़े बोर्ड लगाने चाहिए, जिससे की यहां पर हो रही,इस समस्या का तुरंत समाधान किया जा सके। क्योंकि यहां दाह संस्कार के लिए पंडितों के वर्ग का दायित्व सभा का नही, बल्कि निगम का है, महापौर अपनी कमियो को सभा पर सौंपने की कोशिश ना करें।

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