दीपावली: ज्ञान की आवश्यकता एवं महत्त्वRJS PBH वेबिनार दीपोत्सव में मुख्य वक्ता निखिलेश मिश्रा का संबोधन.

दीपावली: ज्ञान की आवश्यकता एवं महत्त्व
RJS PBH वेबिनार दीपोत्सव में मुख्य वक्ता निखिलेश मिश्रा का संबोधन.
निखिलेश मिश्रा -भारत सरकार में पूर्व आईटी ऑफिसर द्वारा आरजेएस पीबीएच वेबिनार दीपोत्सव:तमसो मा ज्योतिर्गमय में संबोधन.
तमसो मा ज्योतिर्गमय का सामान्य अर्थ यह है कि अंधकार से प्रकाश की ओर चलो, बढ़ो। देखा गया है कि मानव इसका गूढ़ार्थ नहीं समझ पाता है। कतिपय ऋषि-मुनियों ने सोच समझकर इसका अनुगमन किया और अपने जीवन को कृतार्थ किया है। उनमें बहुतों के नाम लिए जा सकते हैं। अंधकार को त्यागकर प्रकाश के मार्ग पर बढ़ना साधना का अध्याय है।
यह श्लोक बृहदारण्यकोपनिषद् से लिया गया है। इसका अर्थ है कि मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो, मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो, मुझे मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो। दीपावली और प्रकाश का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है, यह सम्बन्ध समझने के लिए हमे प्रकाश के वास्तविक अर्थ को भी समझना होगा।

दीपावली भारत में मनाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय और शुभ त्योहारों में से एक है। इसे रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है, यह बुराई पर अच्छाई की, अज्ञान पर ज्ञान की और निराशा पर आशा की जीत का प्रतीक है। दिवाली हिंदू कैलेंडर में कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में आती है।

दिवाली संस्कृत के शब्द दीपावली से बना है, जिसका अर्थ है "दीपकों की पंक्ति।" यह त्यौहार नए हिंदू वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है। इस पर्व को घर के चारों ओर दीये और मोमबत्तियाँ जलाकर मनाया जाता है। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दिवाली दुनिया भर के हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई की, अज्ञान पर ज्ञान की और निराशा पर आशा की जीत का जश्न मनाने का समय है। 

दीपावली मानाने के पीछे कई कथन हैं। प्रायः रावण को हराने के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में दिवाली मनाई जाती है। श्री राम को 14 साल के लिए अयोध्या से वनवास दिया गया था और उनकी वापसी को बहुत खुशी और उत्सव के साथ मनाया गया था। अयोध्या के लोगों ने उनके वापस स्वागत के लिए दीये जलाए और अपने घरों को सजाया। दिवाली मनाने का एक अन्य कारण धन और समृद्धि की हिंदू देवी लक्ष्मी का सम्मान करना भी है। लोग धन और सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए दिवाली की रात लक्ष्मी पूजा करते हैं।

दिवाली पूरे भारत में बड़े उत्साह और खुशी के साथ मनाई जाती है। लोग इस त्योहार की तैयारी हफ्तों पहले से ही शुरू कर देते हैं। वे अपने घरों को साफ करते हैं, उन्हें रोशनी और रंगोलियों से सजाते हैं और नए कपड़े खरीदते हैं। दिवाली की रात, लोग अपने घरों और कार्यालयों के चारों ओर दीये और मोमबत्तियाँ जलाते हैं। वे धन और सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए लक्ष्मी पूजा भी करते हैं। पूजा के बाद, लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। लोग स्वादिष्ट भोजन और मिठाइयाँ बनाते हैं और उन्हें अपने प्रियजनों के साथ बाँटते हैं।

दिवाली परिवारों और दोस्तों के एक साथ आने और जश्न मनाने का समय है। यह सभी गिले-शिकवे भूल कर नई शुरुआत करने का समय है। दिवाली आनंद और खुशियाँ फैलाने का भी समय है। दिवाली के अवसर पर समृद्ध घर-परिवार के लोग दान देते हैं और जरूरतमंदों की मदद करते हैं। 

हाल के वर्षों में, दिवाली उत्सव के पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ी है। लोग अब त्योहार मनाने के लिए पर्यावरण-अनुकूल तरीकों का उपयोग करने के बारे में अधिक जागरूक हैं। पर्यावरण-अनुकूल दिवाली, जिसे "हरित दिवाली" के रूप में भी जाना जाता है, दिवाली त्योहार को मनाने के लिए एक पर्यावरण के प्रति जागरूक दृष्टिकोण है। 

इसमें पारंपरिक दिवाली प्रथाओं से जुड़े हानिकारक पर्यावरणीय प्रभावों को कम करना शामिल है। बिजली की खपत कम करने के लिए लोग बिजली की रोशनी के बजाय पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों, जैसे मिट्टी के दीये का उपयोग करना चुनते हैं। इसके अतिरिक्त, पर्यावरण-अनुकूल आतिशबाजी, जो कम प्रदूषक और  शोर पैदा करती है, काफी लोकप्रियता हासिल कर रही है। प्राकृतिक सामग्रियों और जैविक, बायोडिग्रेडेबल सजावट से बने रंगोली डिज़ाइन एक स्वच्छ और अधिक टिकाऊ उत्सव में अपना महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। पर्यावरण-अनुकूल दिवाली का उद्देश्य पर्यावरण को संरक्षित करना, वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम करना और इस प्रिय त्योहार को मनाने के अधिक जिम्मेदार और सामंजस्यपूर्ण तरीके को बढ़ावा देना है।

दीपावली से आपसी प्रेम बढता है जिससे सम्बंधों में मिठास आती हैं। साफ सफाई का बहुत महत्व हैं जिससे घरो तथा आस पास के परिवेश स्वच्छ होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभ कारी हैं। इस त्यौहार के बहाने साल में एक बार पूरे घर की सफाई हो जाती है। यदि इस तरह के त्यौहार न हो तो ऐसा हो पाना मुश्किल है।

ज्ञान वही है जो हमें सत्य की ओर ले जाए और सत्य वही है जो धर्म (जो धारण करने योग्य) को स्थापित करे। ज्ञान तत्व प्रकाश जैसा होता है, जिससे वस्तुत: मनुष्य का जीवन रूपांतरित होता है। इससे जीवन अर्थपूर्ण और यथार्थ के धरातल तक पहुंचता है। वहीं दूसरी तरफ अज्ञान से मनुष्य का समस्त जीवन अंधकारमय होता है। वह अपने लक्ष्य से भटक जाता है। इसलिए हर मनुष्य के जीवन में परम लक्ष्य ज्ञान और सत्य की खोज होना चाहिए।

ज्ञान का सत्य उसकी व्यावहारिक उपयोगिता में निहित है। मानव जीवन की समस्त विकृतियाँ, अनुभव होने वाले सुख-दुःख, अशान्ति आदि सबका मूल कारण अज्ञानता ही है। 

प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो के अनुसार, 
“अज्ञानी रहने से जन्म न लेना ही अच्छा है क्योंकि अज्ञान ही समस्त विपत्तियों का मूल है।" 

चाणक्य ने कहा है कि,
"अज्ञान के समान व्यक्ति का कोई दूसरा शत्रु नहीं है।"

शेखस्पियर ने लिखा है,
"अज्ञान ही अंधकार है।"

सर डब्ल्यू टेंपल ने लिखा है,
"ज्ञान मनुष्य का परम मित्र है और अज्ञान परम् शत्रु है।"

बेकन ने कहा है,
"ज्ञान ही शक्ति है।"

इस तरह अज्ञान जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है। यही जीवन की समस्त विकृतियों और कुरूपता का कारण है। कुरूपता का सम्बन्ध मनुष्य के शारीरिक बनावट से न होकर अविद्या और अज्ञान से उत्पन्न होने वाली बुराइयों से है। समस्त विकृतियों, बुराइयों, शारीरिक, मानसिक अस्वस्थता का कारण अज्ञान और अविद्या ही है। 

              अतः विद्या और अज्ञानता के निवारण के लिए ज्ञान की महती आवश्यकता है। संसार के स्वरूप को समझने और उसमें उपस्थित विभिन्न समस्याओं को हल करने की क्षमता 'ज्ञान' को प्राप्त है। यही इसकी आवश्यकता और महत्व है। ज्ञान की आवश्यकता और महत्त्व को हम इस प्रकार समझ कर सकते हैं-

1. ज्ञान संसार का सर्वोत्कृष्ट और पवित्र तत्त्व है:
ज्ञान इस संसार का सर्वोत्कृष्ट और पवित्र तत्त्व है। गीता में कहा गया है कि, "इस संसार में ज्ञान के समान और कुछ भी पवित्र नहीं है।"

2. ज्ञान,  जीवन का बहुमूल्य धन है: 
ज्ञान ही जीवन का बहुमूल्य धन है क्योंकि सभी प्रकार की भौतिक शक्तियों का नाश निश्चित समय पर हो जाता हैं किन्तु ज्ञान रूपी धन प्रत्येक स्थिति में मनुष्य के पास रहता है और दिनों-दिन विकास को प्राप्त करता है।

3. ज्ञान जीवन का प्रकाश-बिन्दु है: 
ज्ञान अमोघ शक्ति है जिसके समक्ष सभी इन्द्रियाँ निष्प्रभ हो जाती हैं। ज्ञान जीवन का प्रकाश-बिन्दु है जो मनुष्य को सभी इन्द्रों और अन्धकाररूपी दीवारों से निकालकर शाश्वत पथ पर आग्रसर करता है।

4. ज्ञान मनुष्य के चरित्र और व्यावहारिक जीवन को उत्कृष्ट बनाता है:
ज्ञान मनुष्य के चरित्र और व्यावहारिक जीवन को उत्कृष्ट बनाता है। ज्ञानी व्यक्ति शुभ आचरण करके अपने आन्तरिक और बाह्य जीवन को पवित्र और उत्कृष्ट बना लेता है। वेदव्यास के अनुसार, "ज्ञान जीवन के सत्य का दर्शन नहीं कराता बल्कि वह मनुष्य को बोलना एवं व्यवहार करना सिखाता है।" 

5. ज्ञान मनुष्य को सत्य का दर्शन कराता है:
ज्ञान का ध्येय सत्य है और सत्य ही आत्मा का लक्ष्य है।

6. ज्ञान दूसरों का मार्गदर्शन करता है:
ज्ञान की साधना करना, उसके अनुसार आचरण करना, अपने उपार्जित ज्ञान से दूसरों का मार्गदर्शन कराना ज्ञान यज्ञ कहलाता है। ज्ञान-यज्ञ को गीता में सर्वोत्कृष्ट बताया गया है।

7. ज्ञान मानव जीवन के कर्त्तव्यों का बोध कराता है:
ज्ञान आत्मा की अमरता का परमात्मा की न्यायशीलता का और मानव जीवन के कर्त्तव्यों का बोध कराता है। ज्ञान के द्वारा ही सुविचारों पर चलने, दुष्कर्मों के प्रति घृणा करने एवं सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त होती है।

8. ज्ञान, अज्ञानता को दूर करता है:
ज्ञान की उपलब्धि से अज्ञानता का निवारण होता है। ज्ञान से मनुष्य की समस्त विकृतियाँ, बुराइयाँ तथा शारीरिक, मानसिक अस्वस्थता दूर हो जाती है। ज्ञान, मनुष्य के अन्दर अज्ञानतारूपी अन्धकार को दूर कर उसकी आत्मा को प्रकाशित कर देता है।

9. ज्ञान मानव जीवन के उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक:
ज्ञान के द्वारा मनुष्य अपने जीवन के स्वरूप तथा अन्तिम उद्देश्यों को जानकर उसे प्राप्त कर सकता है। ज्ञान के द्वारा मनुष्य अपने जीवन के उद्देश्यों को प्राप्त करने का उपाय स्वयं जान जाता है और उसी ज्ञान के आधार पर अपना मार्ग बनाता है।

अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाने के प्रतीक पर्व दीपावली की आपसभी को सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।
RJS PBH
RJS POSITIVE MEDIA 
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