आरजेएस पीबीएच का 265 वां कार्यक्रम 27 सितंबर 2024विश्व पर्यटन दिवस पर आयोजित हुआ ।

पर्यटन, दुनिया में संस्कृति की समझ और शांति के लिए लोगों को जोड़ता है .
आरजेएस पीबीएच का 265 वां कार्यक्रम विश्व पर्यटन दिवस पर आयोजित हुआ 
आरजेएस पीबीएच का विश्व हृदय दिवस पर पाॅजिटिव मीडिया:दिल से दिल तक पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम होगा लागू 
 नई दिल्ली। 
27 सितंबर विश्व पर्यटन दिवस पर थीम "पर्यटन और शांति" विषय पर 265‌ वें वेबिनार का आयोजन 
 राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस- आरजेएस पॉजिटिव मीडिया के संस्थापक उदय कुमार मन्ना व टेक्निकल टीम द्वारा  राम रति देवी मंदिर कृषक प्रयोगशाला एवं कृषक पर्यटन स्थल, कांधरपुर, ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश के संस्थापक राजेन्द्र सिंह कुशवाहा जी के सहयोग से
  सफलतापूर्वक सायं 5 बजे किया गया।
श्री मन्ना ने कहा कि संस्कार भारती हाॅल,नई दिल्ली में आरजेएस पीबीएच का 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस पर पं.दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि देकर पाॅजिटिव मीडिया:दिल से दिल तक पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम लागू होगा और न्यूज़ लेटर का लोकार्पण किया जाएगा।
राजेंद्र सिंह कुशवाहा, अतिथि संपादक, आरजेएस पीबीएच न्यूज़ लेटर ने अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापित किया।
उन्होंने कहा कि राम रति देवी मंदिर कृषक प्रयोगशाला और कृषक पर्यटन स्थल जैसे ग्रामीण पर्यटन की स्थापना की है और इसको विकसित करने का निर्णय लिया है।  
कार्यक्रम की मॉडरेटर पाॅजिटिव मीडिया डेली डायरी न्यूज़ की एंकर खुशबू झा ने पर्यटन और शांति को समर्थन देने के लिए सकारात्मक मीडिया पर जोर दिया।
 मुख्य अतिथि स्टिक ट्रैवल ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. सुभाष गोयल ने आध्यात्मिक व धार्मिक पर्यटन के महत्व और आध्यात्मिक गंतव्य के रूप में भारत की क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने ग्रामीण पर्यटन, कृषि पर्यटन, हरित पर्यटन की संभावनाओं और आदिवासी संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।  बैठक में पर्यटन के माध्यम से शांति को बढ़ावा देने और पर्यटकों के लिए एक शांतिपूर्ण गंतव्य के रूप में भारत की क्षमता पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। पर्यटन क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया।
भारत के पर्यटन उद्योग की संभावनाओं की खोज की गई।
मुख्य वक्ता चैंबर ऑफ सर्विस इंडस्ट्री के महानिदेशक मेजर डॉ. गुलशन शर्मा ने कहा कि पर्यटन उद्योग के हितधारकों को किफायती आवास विकल्पों को बढ़ाने के लिए छात्रावास शैली के आवास विकसित करने चाहिए। डॉ. गुलशन शर्मा ने शिक्षा में पर्यटन के महत्व और सरकारी समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने अपनी योजनाओं में सिनेमाई पर्यटन और फिल्म-प्रेरित पर्यटन को शामिल करने का सुझाव दिया। उन्होंने सीमा जैसे क्षेत्रों में पर्यटन की संभावनाओं पर भी चर्चा की। चर्चा, भारत में पर्यटन उद्योग की क्षमता पर केंद्रित थी। वेबिनार में भारत के विविध आकर्षणों जैसे हिमालय, समुद्र तट, जंगल और सांस्कृतिक विरासत स्थलों पर प्रकाश डाला गया। वक्ताओं ने पर्यटन की श्रम-गहन प्रकृति और रोजगार पैदा करने की इसकी क्षमता पर जोर दिया। डॉ. गुलशन शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए हवाई अड्डों और बेहतर विपणन जैसे बेहतर बुनियादी ढांचे की आवश्यकता का उल्लेख किया।
कुल मिलाकर कहा जाए तो
बैठक, भारत में पर्यटन उद्योग की संभावनाओं पर केंद्रित थी, जिसमें आध्यात्मिक पर्यटन, ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने और इसकी भूमिका पर चर्चा की गई।  इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी पर भी जोर दिया गया। विश्व पर्यटन दिवस मनाने की योजना और सरकारी सहायता तथा बुनियादी ढांचे के विकास की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई।  कार्यक्रम में पर्यटन पाठ्यक्रम में एमबीए बनाने के विचार और सीमा पर्यटन सहित विभिन्न क्षेत्रों में पर्यटन की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया। 
प्रतिभागियों ने अर्थव्यवस्था में पर्यटन के महत्व, एक सुनियोजित पाठ्यक्रम के विकास और प्रौद्योगिकी के प्रभाव पर चर्चा की।
कार्यक्रम में सुदीप साहू, डा.मुन्नी कुमारी, सुषमा सिंह, कुलदीप राय, इसहाक खान,ब्रजकिशोर, सुशीला रंजन, मयंक, आकांक्षा और सुनीता पाल
भी शामिल हुए।

आकांक्षा 
हेड क्रिएटिव टीम 
आरजेएस पीबीएच 
8368626368

Comments

  1. गतिशीलता सदैव नवीनता प्रदान करती है। बहती हवा,बहता जल स्वमेव निर्मल होते रहते हैं।हम भी अधिकाधिक लोगों के सम्पर्क आकर नवीन जानकारियां प्राप्त करने हैं। यही तो वह यात्रा है जिसमें के माध्यम हमारी अपनी क्षमताओं से हमारा समाज,देश और समस्त चराचर जगत लाभान्वित होता है।कूप -मण्डूक बनकर हम ऊर्जा प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं। इस संसार में हमारे आगमन का उद्देश्य तभी सार्थक होगा जब हम पारस्परिक संपर्क बढ़ाते हुए सतत् सक्रियता के साथ गतिशील रहते हुए परिवर्तन को खुले हृदय से स्वीकार करेंगे।

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  2. सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल,
    जिंदगानी है कहां।
    जिंदगानी भी गर रही,
    तो नौजवानी फिर कहां।

    समय रहते हम सब अपने शरीर में क्षमता रहते हुए सद् प्रयत्न करते हुए अधिकाधिक शक्तियां अर्जित करें और सबके साथ मिल-जुलकर इस शक्तियों का सदुपयोग करते हुए समाज के हित के सतत् संलग्न रहें।
    स्वार्थ भावना और मन की कूप -मण्डूकता की मन: स्थिति को त्याग अपनी जिंदादिली से संसार में अपने आगमन की सार्थकता प्रमाणित करें।

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