ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, नई दिल्ली एवं साकेत महाविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में 48वांँ वार्षिक अधिवेशन और राष्ट्रीय संगोष्ठी का प्रारंभ . #rjspositivemedia

ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, नई दिल्ली एवं साकेत महाविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में  48वांँ वार्षिक अधिवेशन और राष्ट्रीय संगोष्ठी का प्रारंभ .           #rjspositivemedia
श्रीराम का चरित्र सर्वमंगल की  भावना और अनंत कल्याण का प्रतिरूपक है ‌: डॉ. गिरीश पति त्रिपाठी 
 रामायण हार‌ पर जीत, दुर्गुणों पर सद्गुण तथा अन्याय पर न्याय का आख्यान है : प्रो. अरुण कुमार भगत 
अयोध्या/दिल्ली (आरजेएस पीबीएच -आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया)
"कीरति भनिति भूति भलि सोई। 
सुरसरि सम सब कहँ हित होई ॥"
अर्थात कीर्ति, कविता और सम्पत्ति वही उत्तम है, जो गंगाजी की तरह सबका हित करने वाली हो और मानव जीवन में यदि किसी का चरित्र सर्वमंगल की भावना तथा अनंत कल्याण का प्रतिरूपक है तो वह है, राम का चरित्र।" उपर्युक्त कथन महापौर अयोध्या, डॉ. गिरीश पति त्रिपाठी ने आज ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया एवं साकेत महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में ‘रामकथा की व्यापकता’ नामक विषय पर आयोजित द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में कहा। साथ ही उन्होंने त्रिभाषा सूत्र और भारत वर्ष में विविधता के बाबजूद राम का चरित ही अनुसरणीय है, इस बात पर भी जोर दिया। इस अवसर पर प्रो. दान पति तिवारी, प्राचार्य, साकेत महाविद्यालय ने कहा, "रामायण में श्री राम को दिव्यादिव्य और धीरोदात्त नायक के रूप में चित्रित किया गया है।" उन्होंने कहा कि अयोध्या में राजतंत्र तो था, परंतु प्रजा के मत एवं उनके विचारों को प्रमुखता दी जाती थी। इसके पश्चात् विशिष्ट अतिथि प्रो. अरुण कुमार भगत,माननीय सदस्य, बिहार लोक सेवा आयोग ने कहा कि "रामायण में भारतीय जीवनमूल्यों एवं आध्यात्मिकता का वर्णन किया गया है। रामायण हार पर जीत, दुर्गुणों पर सद्गुण तथा अन्याय पर न्याय का आख्यान है।" इस आख्यान में माँ और मातृभूमि को सबसे मूल्यवान् बताया गया है। अतः यही हमारी राष्ट्रीय पहचान की धरोहर है।"
इस कार्यक्रम का संचालन ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ. शिव शंकर अवस्थी ने किया था तथा अध्यक्षता डॉ. अहिल्या मिश्रा, वरिष्ठ लेखिका, हैदराबाद ने किया। उन्होंने कहा कि रामकथा की व्यापकता के साथ उसकी सूक्ष्मता को भी समझना चाहिए। आज का यह सत्र पूर्णतः राममय रहा। राम की नगरी अयोध्या में इस कार्यक्रम का शुभारंभ और दूर- दराज से आए लोगों की उपस्थिति सौभाग्य का विषय है। 
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. जनमेजय कुमार तिवारी, अंग्रेजी विभाग, साकेत महाविद्यालय तथा सह-संयोजक डॉ. अशोक कुमार ज्योति, कार्यकारिणी सदस्य, ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया भी मंचस्थ थे। डॉ. जनमेजय तिवारी ने स्वागत वक्तव्य दिया। 
इस अवसर पर‌ मंचासीन अतिथियों द्वारा 'इंडियन ऑथर' पत्रिका, डॉ. शिव शंकर अवस्थी द्वारा संपादित पुस्तक 'सबके‌ दिलों में राम', डॉ. रेशमी पांडा मुखर्जी की 'नवगीत पुरुष राधेश्याम बंधु', डॉ. संदीप शर्मा की पुस्तक 'हनुमान चालीसा : एक आध्यात्मिक अनुभव', डॉ. अशोक कुमार ज्योति की पुस्तक 'माँ, मुझे जीने दो', डॉ. आशा मिश्रा 'मुक्ता' की पुस्तक 'डाॅ. अहिल्या मिश्रा का व्यक्तित्व', शिल्पी भटनागर की पुस्तक 'संध्या-सिंदूर, अजय पांडेय की 'विदर्भ का दर्द', आर. देवी की 'प्रेम की अनुभूति', चित्रा ज. चिंचघरे की 'ॐ', डॉ. देविदास इंदापवार की कविता पुस्तक 'मेरा जीवन', अजितन मेनोथ की मलयालम कृति 'कम्यूनिस्ट कॉमेडी, डॉ. सौरभ देवा की 'रेफ्लेटिंग ऑन वॉलीवुड', गीता कैपारंबु की मलयालम कृति 'ओत्तामाराक्कावुकल' के साथ ही पत्रिकाओं 'नागरी संगम', 'आगम सोची और गंगाशरणम्' का लोकार्पण किया गया। 

कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी प्रतिभागियों द्वारा ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के दिवंगत अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. श्याम सिंह शशि के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। 
इसके साथ ही मंचासीन अतिथियों द्वारा सरस्वती जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और  दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी का उद्घाटन किया गया।
संगोष्ठी का प्रथम सत्र 'वर्तमान युग में रामकथा की प्रासंगिकता' पर केंद्रित था, जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ लेखक डॉ. हरिसिंह पाल‌ ने की। इस सत्र में डॉ. रचना शर्मा, परसराम डेहरिया, डॉ. सुषमा सिंह, डॉ. पी.वी. रमा‌ देवी, श्रीमती आर. पार्वती और डॉ. वरुण भार्गव ने अपने विचार व्यक्त किए। इस सत्र का संचालन डॉ. अशोक कुमार ज्योति ने किया। दूसरा सत्र 'राम और 'रामचरितमानस' में शिक्षा, जीवन-मूल्य और लोककल्याण' विषय पर‌ केंद्रित था, जिसकी अध्यक्षता डॉ. सलमा जमाल‌ ने की। इसमें अशोक अश्रु, कृष्णी वाल्के और मीना कौशल ने अपने विचार व्यक्त किए। इस सत्र का संचालन डॉ. युवराज सिंह ने किया।

संगोष्ठी के तीसरे सत्र 'विभिन्न भारतीय भाषाओं में रामकथा की महिमा' की अध्यक्षता नरेंद्र परिहार ने किया, जिसमें वर्गीज वलप्पत, पूर्णिमा श्रीनिवासन, आर. श्रीदेवी श्रीनिवासन, श्रुति सिन्हा ने विविध भारतीय भाषाओं में व्याप्त रामकथा पर प्रकाश डाला। इस सत्र का संचालन डॉ. किरण पोपकर ने किया। 

इस राष्ट्रीय अधिवेशन के‌ प्रथम दिन का समापन बहुभाषी काव्य-संध्या से हुआ, जिसमें हिंदी, अवधी, ब्रज, मलयालम, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, असमिया, कोंकणी, मराठी, गुजराती, उर्दू, बंगला आदि  भाषाओं के 55 कवि-कवयित्रियों ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया।

Comments

Popular posts from this blog

पूरी तरह से कृषि कार्यो में प्रयोग होने वाले कृषि उपकरण,खाद,बीज,दवाई आदि पर जीएसटी से मुक्त करने का वित्त मंत्री ने किसानों को आश्वासन दिया- धर्मेन्द्र मलिक

आत्महत्या रोकथाम दिवस पर विश्व भारती योग संस्थान के सहयोग से आरजेएस पीबीएच वेबिनार आयोजित.

वार्षिकोत्सव में झूम के थिरके नन्हे बच्चे।