विश्व परिवार दिवस पर आरजेएस युवा टोली पटना के सहयोग से आरजेएस पीबीएच ने कार्यक्रम आयोजित किया - वसुधैव कुटुम्बकम्..

विश्व परिवार दिवस पर आरजेएस युवा टोली पटना के सहयोग से आरजेएस पीबीएच ने कार्यक्रम आयोजित किया - वसुधैव कुटुम्बकम्..

वसुधैव कुटुम्बकम् कार्यक्रम में माॅस्को और इंग्लैंड सहित राज्यों से शामिल आरजेसियंस ने प्राणियों और पर्यावरण को भी परिवार माना.

नई दिल्ली। विश्व परिवार दिवस पर राम जानकी संस्थान पाॅजिटिव ब्राॅडकास्टिंग हाउस(आरजेएस पीबीएच) नई दिल्ली) के राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना द्वारा आरजेएस युवा टोली, पटना के सहयोग से आयोजित 359वें कार्यक्रम ने भारतीय और भारतवंशियों  को भारत एक परिवार विश्व एक परिवार है -  'वसुधैव कुटुंबकम' के गहन प्राचीन भारतीय अवधारणा का अन्वेषण करने के लिए एक साथ लाया।
आरजेएस युवा टोली पटना,बिहार के साधक ओमप्रकाश ने कहा कि परिवार की नई पीढ़ी में संस्कारों व मूल्यों को स्थापित करना है। बच्चों को सुबह की प्रार्थना, बड़ों का सम्मान, सामूहिक भोजन, स्व-अध्ययन और विश्व शांति के लिए प्रार्थना जैसे मूल्य सिखाए। बचपन में मातृ शिक्षाओं की मूलभूत भूमिका पर जोर दिया। साधक ओमप्रकाश  की  धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या देवी परिवार के पुत्र डा. किशोर झुनझुनवाला, पोता सक्षम और पोती पलक, बेटियां सुमन और मीना आदि भी कार्यक्रम में उपस्थित थीं।
नागपुर, महाराष्ट्र की कवयित्री रति चौबे,हैदराबाद से निशा चतुर्वेदी और दिल्ली से सरिता कपूर आदि ने विश्व परिवार दिवस कार्यक्रम में काव्यांजलि से स्वागत और शुभारंभ किया ।
ब्रह्मा कुमारीज़ संगठन, नई दिल्ली के महिला सेवा प्रभाग की चेयरपर्सन राजयोगिनी बीके चक्रधारी दीदी
ने परिवार में आपसी सम्मान, दूसरों की बात सुनने को प्राथमिकता देते हुए परिवारों के टूटने के प्राथमिक कारणों को समायोजन की कमी और स्वार्थपरता के रूप में पहचाना। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान हमें अपनी स्थिति को सही करने का सच्चा ज्ञान देता है। रिश्तों को प्रबंधित करने के लिए एक शांत और शांतिपूर्ण मानसिक स्थिति आवश्यक है।

प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित, ब्रह्मा कुमारीज़ सेंटर फॉर स्पिरिचुअल डेवलपमेंट, मॉस्को की जनरल डायरेक्टर राजयोगिनी बीके सुधा रानी गुप्ता (सुधा दीदी) ने कहा कि आध्यात्मिक समझ के कारण विदेश में भी हमेशा घर जैसा महसूस किया, इस बात पर जोर दिया कि एक सच्चे परिवार के संदर्भ में पद और स्थिति चेतना और जुड़ाव के लिए माध्यमिक हैं। उन्होंने परिवार की अवधारणा को मनुष्यों से परे सभी जीवित प्राणियों और पर्यावरण तक विस्तारित किया, प्रकृति के साथ हमारे अंतर्संबंध पर जोर दिया। उन्होंने आत्म-नियंत्रण और दूसरों को दुख न पहुँचाने वाले जिम्मेदार कार्यों के महत्व पर जोर दिया।आध्यात्मिकता कहती है कि आप जितनी अधिक अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करेंगे, आपको निश्चित रूप से आपके अधिकार मिलेंगे; आपको उसके लिए लड़ना नहीं पड़ेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आपसी सम्मान और समझ स्वयं एक सकारात्मक उदाहरण बनने से आती है।उन्होंने सकारात्मक शब्दों के साथ सकारात्मक कार्यों की आवश्यकता पर जोर दिया।
इंग्लैंड (यूके) से बहुमुखी प्रतिभा की धनी अंतरा राकेश तल्लम ने 'वसुधैव कुटुंबकम' को सम्मान, समझ और संवेदनशीलता के मूल्यों के माध्यम से परिभाषित किया।उन्होंने परिवार की अवधारणा को मनुष्यों से परे सभी जीवित प्राणियों और पृथ्वी तक भी विस्तारित किया, प्रकृति के साथ हमारे अंतर्संबंध और निर्भरता पर जोर दिया, यह देखते हुए, "उनमें से किसी एक के बिना, हम मौजूद नहीं रहेंगे।" उन्होंने संबोधन का समापन एक लघु कविता से किया-
"मिल जुलकर हम साथ रहें यही है बस अभिलाषा।"
इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस (आईसीसीआर) के वरिष्ठ कार्यक्रम निदेशक सुनील कुमार सिंह 16 मई, 2025 को शाम 5 बजे 'विश्व संस्कृति में भारत का योगदान' पर आगामी 360 वें आरजेएस वेबिनार की घोषणा करने के लिए शामिल हुए। डॉ. सुनीता पाहुजा, सुदीप साहू, स्वीटी पॉल,आकांक्षा, मयंक राज,सोनू कुमार और आशीष रंजन आदि कार्यक्रम में शामिल हुए।

आकांक्षा 
हेड क्रिएटिव टीम 
आरजेएस पीबीएच 
9811705015

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