पूरी नींद और सामाजिक जुड़ाव मानसिक बीमारियों की करेगा रोकथाम - वक्ता आरजेएस कार्यक्रम , विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस।

मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर आरजेएस कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा "मन और शरीर दोनों का ध्यान आवश्यक"
पूरी नींद और सामाजिक जुड़ाव मानसिक बीमारियों की करेगा रोकथाम - वक्ता आरजेएस कार्यक्रम 
नई दिल्ली, – 10 अक्टूबर, 2025 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर, आरजेएस पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच)द्वारा आयोजित  448वें कार्यक्रम में राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने वैश्विक अस्थिरता के इस दौर में दिवस के थीम की प्रासंगिकता पर जोर दिया, जिसमें संघर्ष और प्राकृतिक आपदाएँ शामिल हैं।यह दिवस पहली बार 1992 में मनाया गया था। 
आईएमए के पूर्व महासचिव और कार्यक्रम के सह-आयोजक डा.बी सी राय अवार्डी डॉ. डी. आर. राय ने बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए शारीरिक गतिविधि, योग, ध्यान, शौक और स्वस्थ- घर का पका हुआ भोजन जैसी जीवन शैली में बदलाव के महत्व पर जोर दिया।मानसिक स्वास्थ्य की रोकथाम घर से ही शुरू होती है,और मां की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने माता-पिता के बच्चों के साथ कम्युनिकेशन और मोबाइल के सकारात्मक उपयोग पर जोर दिया।
कॉसमॉस इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज (सीआईएमबीएस) के अध्यक्ष डॉ. सुनील मित्तल ने कहा कि  "जो मन में होता है, वह शरीर में होता है, और जो शरीर में होता है, वह मन में होता है।" उनका कहना था कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अलग-अलग नहीं हैं।"आपदाओं और आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य" के विषय पर, डॉ. मित्तल ने जोर दिया कि मानसिक स्वास्थ्य सहायता आपदा राहत प्रयासों का एक "अभिन्न अंग" होना चाहिए, न कि एक अतिरिक्त पहलू। उनका कहना था कि दुख-सुख बांटना के लिए सामाजिक जुड़ाव और 7-8 घंटे की पूरी नींद मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं, हर प्रकार के अवसाद की स्थिति में उपचार उपलब्ध हैं।
 आईएचबीएएस के पूर्व निदेशक डॉ. निमिष देसाई ने
 मानसिक बीमारियों की "तेजी से पहचान" के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर दिया, प्रारंभिक निदान से सरल उपचार होता है और व्यक्तियों और परिवारों पर बोझ कम होता है।उन्होंने "मधुमेह और अवसाद" के सामान्य उदाहरण का उपयोग यह समझाने के लिए किया कि मानसिक बीमारी शारीरिक स्थितियों को कैसे खराब कर सकती है, जिससे उपचार की जटिलता और लागत बढ़ जाती है। उन्होंने इस चिंता को दोहराया कि शहरीकरण और पारंपरिक पारिवारिक संरचनाओं का टूटना मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व राष्ट्रीय संयुक्त सचिव और एक विशिष्ट मेडिको-सोशल एक्टिविस्ट डॉ. नरेश चावला ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की स्वास्थ्य की समग्र परिभाषा को दोहराते हुए एक व्यापक संबोधन दिया:शारीरिक बीमारियों के विपरीत, अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति अपनी परेशानी को स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं कर सकता; परिवार के सदस्यों, सहकर्मी समूहों या सहयोगियों पर ही सूक्ष्म संकेतों को पहचानने की जिम्मेदारी होती है।बढ़ती प्रतिस्पर्धा और भौतिकवाद, ये असंतोष पैदा करते हैं और मानसिक तनाव को बढ़ाते हैं।उन्होंने जोर दिया कि यदि प्राथमिक स्तर पर परिवार और स्कूल में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को संबोधित किया जाए, तो छोटी-मोटी चिंताएं और अवसाद गंभीर स्थितियों में बढ़ने से पहले ही हल हो सकते हैं।आरजेएस पीबीएच के राष्ट्रीय पर्यवेक्षक दीप माथुर ने सभी विशिष्ट वक्ताओं और आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन दिया और कहा कि मानसिक स्वास्थ्य की अलग अलग परिस्थितियों पर भी आरजेएस पीबीएच कार्यक्रम करेगा। ये कार्यक्रम अक्टूबर के मंथली न्यूज़ लेटर में प्रकाशित किया जाएगा। शिक्षा,संस्कृति,जागरूकता के साथ साथ धार्मिक व आध्यात्मिक संस्कार हेतु इस महीने दस दिवसीय दीपोत्सव -छठ पर्व, चित्रगुप्त पूजा और युवाओं के लिए क्रिएटर्स समिट तथा सरदार पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रमों की सफलता के लिए टीम रिपब्लिक डे 2026 का गठन किया गया है।
मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर चर्चा में टीआरडी 26 के साधक ओमप्रकाश, सुनील कुमार सिंह, धनपति सिंह कुशवाहा ,दयाराम मालवीय, बसंत मालवीय, सहित एडवोकेट सुदीप साहू ,राजेन्द्र सिंह कुशवाहा, राजेश परमार, आकांक्षा, मयंक राज,ललित , सोनू कुमार, मनोज प्रसाद आदि शामिल रहे। आरजेएस पीबीएच संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना ने कहा कि 
 कार्यक्रम का दस्तावेजीकरण आरजेएस पॉजिटिव मीडिया यूट्यूब पर लाइव किया जाता  है और गणतंत्र दिवस पर पांच सौ पार अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में लोकार्पण होने वाली आरजेएस पीबीएच का ग्रंथ 06 यानी छठी पुस्तक में इसे शामिल किया जाएगा।

आकांक्षा मन्ना 
हेड, क्रिएटिव टीम 
आरजेएस पीबीएच -
आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया 
9811705015.

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