महामना मदन मोहन मालवीय जयंती 25 दिसंबर

महामना मदन मोहन मालवीय जयंती 25 दिसंबर 
भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीयजी की 164वीं जयंती है - उनका जन्म 25 दिसंबर, 1861 को प्रयाग में हुआ था. 
मालवीयजी का कृतित्व महाकाव्यात्मक है. वे संपूर्ण अर्थ में निर्माता थे; लेकिन योद्धा भी उतने ही बड़े थे. स्वाधीनता-संग्राम में उनके हस्तक्षेप, समर्पण और त्याग को किसी दूसरे उदाहरण से नहीं समझा जा सकता. वे अपनी मिसाल आप हैं.

उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर बनारस का अधिकार है और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के साथ-साथ नागरीप्रचारिणी सभा का भी. ध्यान दें; यह बात पूरे इतिहास-बोध के साथ कही जा रही है. 

उन्नीसवीं सदी के आख़िरी बीसवीं सदी के शुरुआती वर्षों में मालवीयजी के नेतृत्व में ही सभा ने कचहरियों और सरकारी कामकाज में नागरी लिपि और हिंदी भाषा के प्रवेश को लेकर बहुत बड़ा आंदोलन खड़ा किया. अंततः विजय भी सभा को मिली और इसी आंदोलन की तर्ज पर देश की आज़ादी की अहिंसक लड़ाई भी आगे चलकर लड़ी गई. मालवीयजी ने इसी आंदोलन के निमित्त कोर्ट कैरेक्टर ऐंड प्राइमरी एजुकेशन शीर्षक निबंध दो साल की मेहनत से तैयार किया. लगभग सौ पृष्ठों के इस निबंध को इंडियन प्रेस ने पुस्तकाकार प्रकाशित भी किया था. बाद में बाबू श्यामसुंदरदासजी ने हिंदी में इस निबंध का सारभूत रूपांतर भी प्रस्तुत किया; जो 1898 में छपा.

बहरहाल, मालवीयजी का उक्त निबंध मिर्ज़ापुर, ग़ाज़ीपुर, बलिया, गोरखपुर, गोंडा, बहराइच, बस्ती, फ़ैज़ाबाद, लखनऊ, कानपुर, बिजनौर, इटावा, मेरठ, सहारनपुर, मुज़फ़्फ़रनगर, झाँसी, ललितपुर, जालौन और काशी के साठ हज़ार नागरिकों के हस्ताक्षरों की सोलह जिल्दों के साथ प्रांत के गवर्नर सर एंटनी मैकडॉनल को दिया गया. इसी घटना के बाद कचहरियों और सरकारी कामकाज में हिंदी का स्थान तय हुआ. यह गरिमा और अस्ति की लड़ाई थी; जिसे मालवीयजी महाराज की मेधा और तप के बिना न लड़ा जा सकता था, न जीता जा सकता था.

कृतज्ञतास्वरूप सभा आज पुनः मालवीयजी की अंतिम यात्रा के चित्र जारी कर रही है. कहने की ज़रूरत नहीं कि इन दुर्लभ चित्रों का प्रकाशनोद्घाटन एक ऐतिहासिक परिघटना है. उनकी मृत्यु 12 नवंबर, 1946 को हुई थी. काशी हिंदू विश्वविद्यालय समेत सभी संस्थाओं को मिलाकर भी अब तक उस महाप्रयाण के इक्का-दुक्का चित्र ही उपलब्ध थे. 

हमें यह चित्र सभा में सूचीकरण और साफ़-सफ़ाई के दरम्यान मिले. अब यह निधि आपको सौंपकर हम कृतकार्य हुए हैं.

आप भी इन चित्रों पर सभा के एकांत स्वत्वाधिकार का मान रखेंगे; ऐसी अपेक्षा है.
मालवीयजी अमर रहें ! सभा की जय हो !
नागरीप्रचारिणी सभा

आरजेएस पीबीएस -आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया 
8368626368

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