गुरु गोविंद सिंह महाराज जी के परिवार की एक भावनात्मक (इमोशनल) कथा है — जिसे पढ़कर आँखें नम हो जाती हैं 🙏----- rjspositivemedia@gmail.com
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🌺 गुरु गोविंद सिंह जी का परिवार: त्याग, बलिदान और अमर इतिहास 🌺
श्री गुरु गोविंद सिंह जी केवल सिखों के दसवें गुरु ही नहीं थे, बल्कि वे ऐसे पिता, पुत्र और पति थे जिन्होंने धर्म और इंसानियत के लिए अपना पूरा परिवार बलिदान कर दिया।
🌼 माता गुजरी जी – अटूट साहस की मूर्ति
माता गुजरी जी ने अपने पोते छोटे साहिबज़ादों – जोरावर सिंह (9 वर्ष) और फतेह सिंह (7 वर्ष) को धर्म की राह पर चलते हुए देखा।
जब उन्हें सरहिंद में ठंडी बुर्ज में कैद किया गया, तब भी माता जी ने बच्चों को कहा:
जब दोनों साहिबज़ादों को ज़िंदा दीवार में चिनवाया गया,
तो माता गुजरी जी ने उसी रात अपना शरीर त्याग दिया।
RJS PBH -RJS POSITIVE MEDIA ने गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश पर्व और साहिबजादे का बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि वेबिनार 27 दिसंबर 2025 को आयोजित किया।
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🌸 चार साहिबज़ादे – चार अमर दीप
गुरु गोविंद सिंह जी के चार पुत्र थे, जिन्हें आज चार साहिबज़ादे कहा जाता है:
🔹 बड़े साहिबज़ादे
अजीत सिंह (18 वर्ष)
जुझार सिंह (14 वर्ष)
दोनों ने चमकौर की लड़ाई में हँसते-हँसते शहादत दी।
पिता गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने जवान बेटों को युद्ध के लिए भेजते हुए कहा:
“जाओ बेटो, आज तुम्हें नहीं, धर्म को जीतना है।”
🔹 छोटे साहिबज़ादे
जोरावर सिंह (9 वर्ष)
फतेह सिंह (7 वर्ष)
इतनी छोटी उम्र में भी इस्लाम कबूल करने से इंकार कर दिया और कहा:
“हम सिख हैं, सिख ही रहेंगे।”
🌺 माता साहिब कौर जी – खालसा की माता
माता साहिब कौर जी ने अपने बच्चों को नहीं खोया,
लेकिन उन्होंने पूरे खालसा पंथ को माँ का प्यार दिया।
वे आज भी “माता खालसा” के नाम से जानी जाती हैं।
🔥 गुरु गोविंद सिंह जी का अंतिम वाक्य
जब गुरु जी से कहा गया –
“आपका पूरा परिवार शहीद हो गया…”
तो गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा:
“चार मुए तो क्या हुआ, जीवित कई हजार।”
यानी मेरे चार पुत्र शहीद हुए हैं,
लेकिन खालसा के रूप में मेरे हजारों बेटे आज भी जीवित हैं।
🙏 यही है गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार की भावनात्मक कहानी
जहाँ पिता ने बेटों को, माँ ने पोतों को और धर्म ने सबको अमर बना दिया।
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